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Bastar Dussehra 2024 : काछन गादी रश्म, कांटों से बने झूले पर 8 साल की पीहू काछनदेवी बन होंगी सवार, दशहरा पर्व मनाने की देंगी इजाजत 

Bastar Dussehra 2024 : काछन गादी रश्म, कांटों से बने झूले पर 8 साल की पीहू काछनदेवी बन होंगी सवार, दशहरा पर्व मनाने की देंगी इजाजत 


रिपोर्टर - जीवानंद हलधर // जगदलपुर। Bastar Dussehra 2024 : बस्तर दशहरा की सबसे महत्वपूर्ण काछन गादी रस्म आज निभाई जाएगी। 8 साल की बालिका पीहू दास पर काछनदेवी सवार होंगी। बस्तर राज परिवार के सदस्यों को बेल के कांटों से बने झूले पर झूलकर दशहरा मनाने की इजाजत देंगी। इसके लिए पीहू काछनगुड़ी में देवी की आराधना कर रही है।

616 साल पुरानी परम्परा है
जगदलपुर के भंगाराम चौक में स्थित काछनगुड़ी में रस्म को निभाया जाएगा। तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली पीहू इस विधान को पूरा करने के लिए पिछले कुछ दिनों से उपवास भी रखी हुई है। यह परंपरा करीब 616 सालों से चली आ रही है। पनका जाति की कुंवारी कन्या ही इस रस्म को अदा करती हैं। 22 पीढ़ियों से इसी जाति की कन्याएं इस रस्म की अदायगी कर रही हैं। पिछले साल भी पीहू ने इस रस्म को निभाया था। इससे पहले अनुराधा ने विधान पूरा किया था। 

काछनगुड़ी में यह रस्म होगी, जिसे देखने और माता से आर्शीवाद लेने सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। जब से पीहू देवी की आराधना कर रहीं हैं, तब से काछनगुड़ी में रोज शाम विशेष पूजा हो रही है। जो आज शाम को इस रश्म को किया जायेगा। 


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