भोपाल। आपने अपने जीवन में अनेक उतार चढ़ाव देखें होंगे इसके साथ ही हमारे आस पास ऐसे कई मजबूर और बेसहारा की कई कहानियां सुनी होंगी जो अपने मेहनत और परिश्रम के बल पर अपना एक अलग ही नाम बना लेते हैं और लोगों की जुबान पर बस जाते हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं, गणेश मर्सकोले ये कोई बिजनेसमैन या इंजिनियर नहीं बल्कि एक भिखारी है. जी हाँ, जो वर्षों से भीख मांगकर आज अपने परिवार को छत के साथ साथ बच्चों को प्राइवेट स्कूल में शिक्षा भी दिला रहा है।
32 साल से मंदिर के सामने मांग रहे भीख
गणेश मर्सकोले बताया कि वे बचपन से विकलांग हैं वह मूलतः मध्यप्रदेश के सिवनी के हैं वहां उनका एक छोटा सा दुकान था लेकिन लोगों के उधारी के कारण उन्होंने दुकान बंद कर दी और 1992 में वे भोपाल आ गए। यहां उन्होंने विकलांगता की वजह से न्यू मार्केट स्थित खेड़ापति हनुमान मंदिर के सामने भीख मांगना चालू कर दिया था क्योंकि विकलांगता की वजह से कोई काम पर नहीं रखते थे और शारीरिक अक्षमता की वजह से उन्हें कई समस्याओं से जूझना पड़ता था।एक बाबा से उन्होंने काम भी माँगा लेकिन विकलांगता की वजह से गणेश मर्सकोले को काम तो नहीं दिया लेकिन मंदिर के सामने बैठा दिया और कहा यहीं बैठो तुमको सब मिलेगा तब से वे यहाँ रोज बैठने लगे और अब 32 साल हो चुके हैं गणेश रोज यहां पर बैठकर भीख मांगता है।
आज उनके बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं और उन्होंने बताया की उनके घर का सपना भी पूरा हो गया। एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की मदद से शासन द्वारा पक्का घर भी बना दिया गया है जिससे परिवार के गुजर बसर के लिए पक्की छत भी मिल गई।
इतनी हो रही कमाई
उन्होंने बताया कि साल 1992 के वक्त लोग उनको दान में चवन्नी देते थे और दिनभर में लगभग 20 रूपये मिलते थे। आज 300 से 400 रूपये रोज का मिल जाता है जिससे उनका परिवार और वह आज ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन बसर कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस खेड़ापति हनुमान मंदिर के सामने वह रोज बैठते हैं उनकी कृपा उन पर हमेशा बनी है।