बालोद: दीपावली पर्व के दौरान के गौरा- गौरी पूजा का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में अपना एक अलग ही महत्व है. छत्तीसगढ़ में काफी लंबे से दीपावली के दिन गौरा-गौरी पूजा अर्चना की जाती है. इस कड़ी में प्रदेश के बालोद जिले में आज गौरा- गौरी की विसर्जन यात्रा निकाली गई है. इस पर्व की पारम्परिक पूजा अर्चना इसकी अहम मानी जाती है. दरअसल लक्ष्मी पूजा के दिन पारम्परिक ढ़ंग से गौरा- गौरी को स्थापित की जाती है. इसके साथ ही इसकी विशेष पूजा- अर्चना शुरू की जाती है. और इसके बाद प्रदेश के शहरों और गांवों में धूम धाम से विसर्जन यात्रा निकाली जाती है.
सदियों से चल रही परम्परा :
लक्ष्मी पूजा की दिन देर रात तक पारम्परिक रूप से गौरा- गौरी स्थल पर पूजा अर्चना की जाती है. इस बीच छत्तीसगढ़ की परम्परा से जुड़े इस गौरा- गौरी की पूजा- अर्चना में ग्रामीण बढ़- चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. आपको बता दें कि ये परम्परा सदियों से चल रही है. आज भी ग्रामीण गौरा- गौरी के इस जागरण प्रथा को कायम रखे हुए हैं. जानकारी के मुताबिक पूरी पारम्परिक पूजा- अर्चना को किदवंती से जोड़ा जाता है.
बालोद जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में गौरा- गौरी पूजा का अपना एक अलग ही महत्व है। इसकी पारम्परिक पूजा अर्चना इस पर्व के लिये अहम मानी जाती है. @BalodDistrict #Chhattisgarh pic.twitter.com/eMumZlGFBv
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) November 1, 2024