fourth day of navratri : नवरात्र के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा- अर्चना होती है। यह देवी सृष्टि के आदिस्वरूप या आदिशक्ति मानी जाती है। माँ दुर्गा के सभी स्वरूपों में माँ कुष्मांडा का स्वरुप सबसे तेज माना जाता है।माँ दुर्गा सूर्य के सामान तेज प्रदान करती है
क्या होता है? माँ कुष्मांडा का अर्थ
इस दिन देवी दुर्गा के चौथे रूप माँ कुष्मांडा की पूजा-अर्चना होती है। कुष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना। माँ कुष्मांडा की पूजा- अर्चना करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।
माँ कुष्मांडा को मालपुआ का लगाए भोग
माँ कुष्मांडा की भोग की बात करे तो माँ को मालपुआ का भोग लगाया जाता है। मालपुआ का भोग लगाने से माँ प्रसन्ना होती है। और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती है।
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