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आंध्रप्रदेश की जेल में बंद छत्तीसगढ़ के चारों पत्रकारों को कोर्ट से मिली सशर्त जमानत, जानें क्या था पूरा मामला 

आंध्रप्रदेश की जेल में बंद छत्तीसगढ़ के चारों पत्रकारों को कोर्ट से मिली सशर्त जमानत, जानें क्या था पूरा मामला 

रायपुर। बस्तर के चार पत्रकारों के कथित रुप से गांजा के साथ आंध्रप्रदेश में पकड़ाए जाने के मामले में कोर्ट ने आज 23 दिनों बाद जमानत दे दी है। कोर्ट द्वारा सशर्त जमानत दी गई है। इन पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसका विरोध किया था। पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस ने भी सवाल उठाये थे। पत्रकारों के विरोध और ज्ञापन के बाद सुकमा पुलिस ने कोंटा के टीआई को सीसीटीवी फ़ुटेज नष्ट करने के आरोप में गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया था।


जानें क्या था मामला 


मामले में पत्रकार बापी राय अन्य साथी पत्रकारों के साथ कोंटा गए थे।  यहां उन्होंने अपने मित्र के भाई की जन्मदिन की पार्टी में शामिल हुए।  पार्टी के बाद कोंटा से रेत से भरे वाहनों के आंध्र प्रदेश जाते देख पूछताछ की जिसके बाद टीआई कोंटा से उन की तीखी झड़प हुई थी। झड़प के बाद चारों पत्रकार कोंटा के ही लॉज में रुक गए। सुबह जबकि चारों ही आंध्र प्रदेश स्थित एक गाँव चट्टी से चाय पीकर लौट रहे थे, तो आंध्र प्रदेश पुलिस ने उन्हें रोका और वाहन की तलाशी पर उसमें से 15 किलो गाँजा बरामद हुआ। 

सीसीटीवी फुटेज किया गया डिलीट

 
पत्रकारों का आरोप था कि, विवाद के बाद रात को पत्रकार सो रहे थे तब उनकी गाड़ी में षड़यंत्रपूर्वक गांजा रख दिया गया। कथित रुप से टीआई कोंटा रात में उस लॉज में भी पहुँचे थे जहां पत्रकार सो रहे थे। चर्चाएँ हैं कि इसी समय का सीसीटीवी फुटेज कोंटा के ही एक विवादित व्यक्ति की उपस्थिति और उसके प्रभाव में डिलीट करा दिया गया। लेकिन आंध्र प्रदेश पुलिस ने चारों ही पत्रकारों को गांजा रखने के आरोप में गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया था।

कोर्ट ने रखी यह शर्त 


राजमहेंद्रवरम के विशेष न्यायाधीश ( नारकोटिक्स ) आर शिव कुमार ने इस मामले में चारों पत्रकारों को सशर्त ज़मानत दे दी। विचारण के दौरान सरकार की तरफ़ से ज़मानत का विरोध करते हुए कहा गया कि, आरोपी प्रभावशाली हैं और छत्तीसगढ़ राज्य में उनका पता लगाना मुश्किल होगा। शासन की ओर से इस मामले में दो अन्य फ़रार आरोपियों का ज़िक्र करते हुए यह भी कहा गया कि, आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सबूतों से छेडछाड कर सकते हैं जबकि बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि, पूरी कार्यवाही दूषित है, और झूठा मामला थोपा गया है। विचारण के दौरान राज्य सरकार की ओर से यह स्वीकार किया गया कि मामले में जप्त गाँजा मध्यम मात्रा का है और एनडीपीएस की धारा 37 के प्रावधान सक्षमता से प्रभावी नहीं होते हैं। सरकारी पक्ष ने यह भी स्वीकार किया कि, सभी गवाह सरकारी गवाह हैं। कोर्ट ने ज़मानत आवेदन स्वीकार करते हुए आदेश में लिखा है -“चारों 20 हजार रुपए के निजी मुचलके और समान राशि के दो स्थानीय ज़मानतदारों के साथ ज़मानत दी जाती है लेकिन यह शर्त है कि, वे सभी चार्जशीट दाखिल होते तक हर मंगलवार को दिन के समय चिंतूर पुलिस स्टेशन में हाज़िर होंगे।


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