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चैत्र नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री की पूजा करने से मन को मिलेगी शांति, जानिए व्रत और पूजा विधि... 

चैत्र नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री की पूजा करने से मन को मिलेगी शांति, जानिए व्रत और पूजा विधि... 

Chaitra Navratri 2025: आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के पहले दिन  मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री बेहत शांत और सरल स्वभाव की प्रतीक है। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। मां की सवारी नंदी बैल है। मां शैलपुत्री को वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी पहचाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, पूर्व जन्म में मां शैलपुत्री का नाम सती हुआ करता था।

इस कारण पड़ा शैलपुत्री नाम :

उस जन्म में वह भगवान भोलेनाथ की पत्नी थी। मां सती के पिता प्रजापति दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया था। जहां पर उनके पति भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया माता सती पिता के महायज्ञ में पहुंची थी जहां पर दक्ष ने महादेव का अपमान किया जिससे क्रोधित होकर मां सती ने प्राण त्याग दिया था। जिसकी  खबर लगते ही भोलेनाथ आयोजन स्थल पर पहुंचे। उन्होंने क्रोध में आकर पूरे आयोजन को ध्वस्त कर दिया। बताया जाता है कि, सती ने इसके बाद अगले जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसी कारण से उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। 

कलश स्थापना और पूजा विधि :

नवरात्री के पहले दिन सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। एक चौकी पर पीले या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां शैलपुत्री की चित्र या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद इस स्थान को गंगा जल से पवित्र कर मां को आमंत्रित करें। फिर उनकी आराधन करें। कलश स्थापना करने के लिए मिट्टी या एक तांबे के कलश में जल भरकर उसमें नारियल और आम के पत्ते रखें। कलश को पूजा स्थल पर रखें और उस पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। माता की पूजा के लिए अक्षत (चावल), लाल पुष्प, चंदन, दीपक, धूप, दूध,  शहद,  घी और साथ में गंगाजल रख कर जैसी पूजन सामग्री तैयार करें इस दिन उपवासी श्रद्धालु  मां को सफेद रंग की वस्तुएं अर्पित करें और केवल फलाहार का ही सेवन करें इसके अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें और पूजा के बाद व्रत का पारण करें। 

माता की पूजा से मिलेगा लाभ :

मां शैलपुत्री की पूजा करने से गृहस्थ जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है, और मन को शांति मिलती है। माता की पूजा आराधना करने से मन की चंचलता समाप्त होती है। साथ ही यह दिन साधकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है। 
 

डिस्क्लेमर: ये सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। inh news इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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