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दिगंबर जैन मुनिश्री पूज्यसागर जी महाराज ने पेंड्रारोड जेल में सुनाया कैदियों को प्रवचन, बोले ''जेल में संत का जीवन जीते हैं इसे बाहर आकर भी अपनाएं''

दिगंबर जैन मुनिश्री पूज्यसागर जी महाराज ने पेंड्रारोड जेल में सुनाया कैदियों को प्रवचन, बोले ''जेल में संत का जीवन जीते हैं इसे बाहर आकर भी अपनाएं''

रिपोर्टर - आकाश सिंह पवार 
पेंड्रा।
दिगंबर जैन मुनि पेंड्रारोड जेल में बंद कैदियों को प्रवचन देने पहुंचे जहां उन्होंने भारत की मिट्टी में जन्मे सब भारत की संतान हैं और हमारी एक जाति मानव और एक धर्म मानवता है, की बात कही। मुनिश्री पूज्यसागर जी महाराज ने कैदियों को संबोधित करते हुए कहा कि, भारत की मिट्टी में जन्मे सब भारत की संतान हैं। भारत भूमि सबकी जननी है और एक जननी से जन्म लेने वाले भाई होते हैं। 

जेल को आश्रम समझकर आचरण में करें बदलाव 
हमारी एक जाति है मानव और हमारा एक धर्म है मानवता, भारत के सभी संप्रदायों में परस्पर के भ्रातृत्व के भाव हों क्योंकि कुछ और होने के पहले हम भाई हैं। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य पूज्य मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज ने जिला जेल के बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि जेल परिसर को कारावास नहीं आश्रम समझकर अपने आचरण में परिवर्तन लायें। पूज् सागर जी महाराज ने संगत कुसंगत, परिस्थितियों के वशीभूत अथवा आवेश,लोभ लालच में घिरकर अपराध हो गया और प्रत्येक अपराधी को अवांछनीय कृत्य के पश्चात उसे पश्चाताप होता है। उससे अपना घर परिवार संबंधी संपत्ति सब छूट जाते हैं और कारागृह की दीवारों के अंदर संसार सीमित हो जाता है।

कारागृह में न तो मांस भक्षण कर सकते न मदिरा पान, न दुराचरण न मनोरंजन मोबाइल का उपभोग, बिल्कुल संत सा जीवन हो जाता है। विवशता में हुये इस सुधार को बाहर आकर भी ऐसा ही जीवन जियें तो आप अनेक पापों से मुक्त हो सकते हैं। बंदियों ने महाराज जी के प्रवचनों से प्रभावित होकर मांस मदिरा, धूम्रपान को त्यागकर सही मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। 


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