Demand For Cancellation Of Reservation Roster : छत्तीसगढ़ में इन दिनों आरक्षण का मुद्दा शांत नही हुआ है की एक नया मामला सामने आ रहा है। मेडिकल की एक एक छात्रा अनुप्रिया बरवा की ओर से अधिवक्ता मृगांक शेखर ने याचिका दायर की।
इसमें कहा गया कि मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए पहले से 2018 और 2021 के नियम बने हुए हैं। उसमें अनुसूचित जाति को 13%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण का प्रावधान बना हुआ है। उच्च न्यायालय में इस रोस्टर को कभी चुनौती नहीं दी गई। इसलिए 19 सितम्बर को आरक्षण कानून पर आया उच्च न्यायालय का फैसला उसपर प्रभावी नहीं है उच्च न्यायालय के फैसले के बाद सरकार ने कहीं भी आरक्षण नियम प्रकाशित नहीं किया है।
शिक्षा संचालनालय ने 9 अक्टूबर को मेडिकल की पीजी कक्षाओं में प्रवेश के लिए और एक नवम्बर को यूजी में प्रवेश के लिए अनुसूचित जाति के लिए 16%, अनुसूचित जनजाति के लिए 20% और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14% आरक्षण का रोस्टर जारी कर काउंसलिंग शुरू कर दिया।
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32% आरक्षण के हिसाब से अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों की 923 सीटों में से 284 सीटें मिलनी थी। नये रोस्टर से इस वर्ग को केवल 180 सीट मिल रही है। अनुप्रिया बरवा 185वें स्थान पर हैं। यानी मेडिकल प्रवेश नियम के मुताबिक उनका दाखिला तय था, लेकिन DME के नये रोस्टर से उसका दाखिला नहीं हो पा रहा है। इसमें सात नवम्बर, 10 नवम्बर, 15 नवम्बर, 16 नवम्बर और 24 नवम्बर को इस मामले में सुनवाई हो चुकी है। कोई नोटिस जारी नहीं हुआ है। अनुप्रिया बरवा ने इंटरवेंशन अप्लिकेशन दायर की है। वह पेंडिंग है। 15 नवम्बर से कॉलेजों में पढ़ाई शुरू हो चुकी है।
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