Congress Supports AAP: दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों पर केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ तनाव के बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) को कांग्रेस का समर्थन मिला है. कांग्रेस के वरिष्ट नेता आनंद शर्मा ने सोमवार को बताया की कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ दिल्ली सरकार के अधिकारों के पक्ष में है. उन्होंने केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की आग्रह किया हैं.
इसके साथ ही, यह बयान आनंद शर्मा ने उस समय दिया है जब बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की है. पहले रविवार को नितीश कुमार के दिल्ली में आप के राष्ट्रीय संयोजन और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मिली थी और उन्होंने इस मिलन के दौरान आप सरकार का समर्थन जताया था.
अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी दलों के प्रमुखों से मिलकर कही बात:
अरविंद केजरीवाल ने व्यक्तिगत रूप से सभी विपक्षी दलों के प्रमुखों से मिलकर समर्थन लेने की घोषणा की है. उनका उद्देश्य था कि केंद्र सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले किसी भी विधेयक को राज्यसभा में पारित होने से रोका जा सके जो तबादलों और नियुक्तियों पर प्रभाव डाल सकता है. वह नीतीश कुमार से भी इस मामले में बातचीत करने का अनुरोध किया है.
नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार आलोचना:
बैठक के बाद नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार की आलोचना की और कहा कि आप कैसे एक निर्वाचित सरकार की शक्ति को छीन सकते हैं. उन्होंने लोगों को संविधान का अध्ययन करने की सलाह दी और कहा कि वे देखें कि क्या सही है. उन्होंने आरविंद केजरीवाल के बयानों को सत्य माना और घोषणा की कि वे पूरी तरह से उनके साथ हैं. उन्होंने विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास करेंगे और केजरीवाल की सरकार को काम करने से रोका जा रहा है.
केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया:
केंद्र सरकार ने दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण की स्थापना करने का एक अध्यादेश जारी किया था. इससे दिल्ली सरकार को पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण सौंपा गया था. यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा मान्यता प्राप्त कर लिया गया था, जिससे पहले केंद्र ने यह कार्यवाही शुरू की थी.
आम आदमी पार्टी ने इस पर आरोप लगाया कि यह अध्यादेश असंवैधानिक है क्योंकि नौकरशाहों के तबादलों का प्रबंधन दिल्ली सरकार के अधीन आना चाहिए. वे मांग कर रहे हैं कि इस अध्यादेश को छह महीने के भीतर संसद की ओर से मंजूरी प्राप्त की जाए.