Chhattisgarh News: रायपुर, 14 अगस्त 2023 संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ को उन्नति की ओर ले जाने के लिए राज्य सरकार ने विशेष प्रयास किए हैं। इन प्रयासों से छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति को नई ऊँचाइयाँ मिली है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में लोग अपनी संस्कृति के प्रति गर्व और उत्साह की भावना से जुड़े हैं, जिससे छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा मिला है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति को मान-सम्मान दिलाने का सशक्त प्रयास किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के पर्वों के दौरान सार्वजनिक अवकाश के साथ-साथ खानपान, कला और साहित्य को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस मौके पर मंत्री भगत ने सभी से अपने घर में तिरंगा लहराने की अपील की।
मंत्री भगत ने यह भी बताया कि पहले छत्तीसगढ़ के कला-संस्कृति के कार्यक्रमों के लिए लोग तरसते थे, लेकिन अब छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति और परंपरा पर आधारित कार्यक्रमों से छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रतिष्ठान बढ़ा है। उन्होंने दिखाया कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बीच भी छत्तीसगढ़ी भाषा की महत्वपूर्णता बढ़ चुकी है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने यहां की लोक-संस्कृति, कला, परंपरा, ऐतिहासिक धरोहरों और पूर्वजों के सपनों को संरक्षित रखने और मानने के लिए मुख्यमंत्री के प्रयासों से छत्तीसगढ़ी फिल्म नीति को लागू किया है। अब छत्तीसगढ़ी फिल्म को उद्योग की मान्यता मिल गई है, और यहां के कलाकारों, तकनीशियनों, निर्माताओं और निर्देशकों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए फिल्म नीति के माध्यम से एक से लेकर पांच करोड़ रुपए तक के पुरस्कार प्रदान करने का विचार किया है।
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संसदीय सचिव श्री कुंवर सिंह निषाद ने राजभाषा आयोग के कार्यक्रम की सम्बोधन की, उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में हुए राष्ट्रीय रामायण महोत्सव ने छत्तीसगढ़ को आयोध्या में बदल दिया था और विदेशी रामायण कला और संस्कृति से जुड़े लोग छत्तीसगढ़ी रामायण मानस महोत्सव से प्रभावित हुए।
कार्यक्रम में फिल्म निर्देशक श्री मनोज वर्मा ने छत्तीसगढ़ी फिल्म नीति की प्रशंसा की और राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इससे छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय कलाकारों को नए मौके मिलेंगे।
कार्यक्रम में टीवी एंकर श्रीमती मधुमिका पाल ने अंग्रेजी में पंडवानी का पाठ किया और संस्कृति विभाग के संचालक श्री विवेक आचार्य ने छत्तीसगढ़ी भाषा में भाषण दिया, जिससे उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम में दुर्गा प्रसाद पारकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘निर्मला‘, अरविन्द्र मिश्र द्वारा लिखित ‘‘ममादाई के कहनी‘‘, एक पुस्तक ‘स्वर्गीय कपिल नाथ के आत्मकथा‘, टिकेश्वर सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘गांव बसे हृदय म‘, नवलदास मानिकपुरी द्वारा लिखित पुस्तक ‘मया के गोठ‘, और अशोक पटेल द्वारा लिखित पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ के चिन्हारी‘, श्रीमती धनेश्वरी सोनी द्वारा लिखित ‘जिनगी के किस्सा‘, और हितेश कुमार द्वारा लिखित ‘पतंजली योग सूत्र‘ तथा मुकेश कुमार द्वारा लिखित ‘हाथ के लकीर‘ पुस्तकों का विमोचन किया गया। इस अवसर पर साहित्यकार डॉ. परदेशी राम वर्मा, डॉ. कविता मिश्र और श्री सेवक राम बांधे ने छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास और राजकाज में छत्तीसगढ़ी के महत्व को व्याख्यान दिया। इस मौके पर राजभाषा आयोग के सचिव डॉ. अनिल भतपहरी सहित विभिन्न क्षेत्रों से साहित्यकार, कलाकार और संस्कृति प्रेमियों ने भाग लिया।
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