CHHATTISGARH : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज सोमवार को कैबिनेट की बैठक करेंगे जिसमे चर्चा का मुख्य विषय रहेगा आदिवासी समुदाय के आरक्षण को लेकर बिलासपुर उच्च न्यायालय का फैसला। छत्तीसगढ़ सरकार इस मसले में कुछ अहम् व बड़ा फैसला ले सकती हैं। सोमवार को होने वाली इस कैबिनेट की मीटिंगमें आदिवासी समाज का आरक्षण बचाने के लिए विधानसभा में विशेष सत्र भी बुला सकती हैं
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छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बताया की हमारी सरकार आरक्षण के इस फैसले को लेकर विधानसभा में विशेष सत्र लगाने की तैयारी कर रही हैं। और इस बात को 17 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक में भी रखेंगे। इसी दौरान आबकारी मंत्री लखमा ने आगे कहा आरक्षण के मामले को भाजपा ने सही ढंग से कोर्ट के समक्ष नहीं रखा। जिसके नाम से आदिवासी समाज को नुकसान हुआ है। लखमा ने कहा की सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को अच्छे वकीलों के माध्यम से रखेगी। अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वकील अब इस मामले पर सरकार का पक्ष रखेंगे। आबकारी मंत्री ने कहा, हम भी चाहते हैं कि आदिवासी समाज को 32% आरक्षण मिले, और बस्तर, सरगुजा का आदिवासी समुदाय विकास के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ते रहे। आदिवासी समाज के आरक्षण पर उच्च न्यायालय में सुनवाई के पश्चात पुरे आदिवासी समाज में व्याकुलता देखने को मिली हैं। आदिवासियों के आरक्षण के इस फैसले से नाराज सर्व आदिवासी समाज और उनसे जुड़े संगठन निरंतर सडको में प्रदर्शन कर रहे है। कई जिलों में इस फैसले के चलते चक्का जाम हुए हैं।
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सर्व आदिवासी समाज के भारत सिंह धड़े आरक्षण के फैसले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भेट किया हैं और अध्यादेश लाकर 32% आरक्षण देने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने भारत सिंह धड़े को विश्वास बंधाया हैं कि सरकार आरक्षण बनाये रखने के लिए हर तरीके से प्रयास करेगी। राज्य सरकार ने 2012 आरक्षण के अनुपात में बदलाव किया था। इसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण 32% कर दिया गया। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% किया गया। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितम्बर को इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुये राज्य के लोक सेवा आरक्षण अधिनियम को रद्द कर दिया। जिसके कारन से आरक्षण की व्यवस्था खत्म होने की स्थिति बन गई है। शिक्षण संस्थाओं में भी आरक्षण खत्म हो गया है। कैबिनेट की इस मीटिंग कांग्रेस उपाध्यक्ष मनोज मंडावी जी के आकस्मिक निधन पर शोक भी व्यक्त किया जायेगा