भोपाल। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मंगलवार को नहाय खाय से शुरू हो गया है। छठ पूजा सांस्कृतिक उत्सव समिति के राजेश्वर सिंह ने बताया कि छठी देवी को ब्रह्माजी की मानस पुत्री कहा जाता है, जो ब्रह्माजी के दायें हाथ से पुरुष और बायें हाथ से प्रकृति का जन्म हुआ है। भेल के पिपलानी चौराहे में छठ पूजा के लिए कुंड बनाए गए हैं जहां हजारों की संख्या में भोजपुरी समाज पूजा करता है। नहाए खाए का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत करने वाले लोग नदी या तालाब में स्नान कर छठ करने का संकल्प लेते हैं।
इस दिन विशेष रूप से चावल, चना दाल और लौकी या कद्दू से बनी सब्जी का सेवन किया जाता है। 7 नवंबर को गुरुवार को धृति योग में छठ महापर्व मनाया जाएगा। वहीं सरस्वती मंदिर छठ घाट पर सैकड़ों व्रतियों ने नहाय खाय व्रत की पूजा अर्चना की। बुधवार को शाम के समय व्रतियों का खरना होगी। इसके लिए मंदिर घाट पर विशेष व्यवस्था की गई है।
छठ पूजा आयोजन समिति संयोजक सतेन्द्र कुमार ने कहा कि अभी तक इस घाट पर लगभग 2100 परिवार घाट बनाने के लिए पंजीयन करा चुके हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत का सबसे बड़ा लोक आस्था का महापर्व में परंपरा अनुसार स्वच्छता एवं पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है, जिसमे प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित रहता है, केवल बनस्पतियों के बने सामग्री ही उपयोग करते हैं।
बांस के बनाए सूपा और दौरा का उपयोग किया जाता है तथा साक्षात प्रकृति का पूजन होता है। महापर्व के तैयारी के क्रम में स्वच्छता अभियान में मंगलवार को पूरे दिन छठ घाट स्वच्छता अभियान चलाकर विशेष रूप से छठ कुंडों एवं घाट कुओं की सफाई की गई।