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Cheetah Project: चीतों की मौत गंभीर लापरवाही हो सकती थी बेहतर मॉनीटरिंग, विदेशी विशेषज्ञों ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर जताई नाराजगी 

Cheetah Project: चीतों की मौत गंभीर लापरवाही हो सकती थी बेहतर मॉनीटरिंग, विदेशी विशेषज्ञों ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर जताई नाराजगी 

Cheetah Project: दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए चीतों की मौत का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। अफ्रीकी और नामीबियाई विशेषज्ञ और राष्ट्रीय चीता परियोजना संचालन समिति के सभी सदस्यों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट को एक पत्र लिखा है और इस प्रोजेक्ट के मेनेजमेंट को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। इस पत्र में चीतों की मौत का कारण गंभीर लापरवाहीको बताया गया है। पत्र में लिखा गया है कि चीतों की और भी बेहतर मॉनिटरिंग की जा सकती थी और उन्हें समय पर इलाज मिलता तो वह बच सकते थे। नामीबिया से आठ चीतों का पहला ग्रुप पिछले साल 17 सितंबर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया था औरअन्य 12 चीते इस फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे।

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क्यों खफा हैं विदेशी विशेषज्ञ ?
Cheetah Project: 15 जुलाई को रेडियो कॉलर की चोटों के कारण दो चीतों की मौत के बाद दक्षिण अफ्रीकी पशु चिकित्सा वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. एड्रियन टॉर्डिफ ने अपने सहयोगियों की ओर से एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें कई जरूरी बातें कही गई थीं। ऐसा ही एक और लेटर सुप्रीम कोर्ट को नामीबिया के चीता संरक्षण कोष के कार्यकारी निदेशक डॉ लॉरी मार्कर ने लिखा था जिसमें ठीक यही बातें दर्ज की गई थी और लापरवाही की बात को प्रमुखता से लिया गया था। इन पत्रों में कहा गया है कि विदेशी स्पेशलिस्टस की दरकिनार किया जा रहा है।

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