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Budget 2024 : राजा महाराजा भी करते थे बजट पेश, ऐसा होता था तरीका

Budget 2024 : राजा महाराजा भी करते थे बजट पेश, ऐसा होता था तरीका

Budget 2024 : केन्द्र की मोदी सरकार 3.0 आज अपना पहला बजट पेश कर रही है। सुबह 11 बजे से सदन में मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 7वीं बार सरकार का बजट पेश कर रही है। बजट में जनता के लिए निर्मला सीतारमण के पिटारे से किसे राहत मिलेगी, कौन सी योजनाओं की शुरूआत होगी यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन क्या आपको पता है कि जब देश में राजा महाराजाओं की रियासते थी तब भी बजट पेश किया जाता था। 

जी हां राजा महाराजाओं के दौर में भी राज्य के खर्च का लेखा जोखा जनता के सामने पेश किया जाता था। इसके लिए क्या नियम थे, बजट कैसे पेश होता था? आइए आपको बताते है। सबसे पहले यह जान ले की बजट शब्द आखिर आया कहां से, तो आपको बता दें कि बजट शब्द फ्रेंच भाषा से लिया गया है। बजट का मतलब होता है छोटा सा बैग। आज के समय छोटे बैग की जगह सूटकेश में बजट लाकर पेश किया जाता है। 

राजाओं के दौर में बजट पेश

अकबर के शासनकाल के दौरान राजा टोडरमल बजट पेश किया करते थे, इसलिए उन्हें पहला वित्त मंत्री माना जाता है। राजा टोडरमल साल भर के राजस्व और खर्च का लेखा जोखा राजा के दरबार में जनता की मौजूदी में रखा जाता था। राजा टोडरमल ही वो वित्त मंत्री थे जिन्होंने भूमि सुधार कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इस कार्यक्रम के तहत ही जमीन को मापने का काम शुरू किया गया था। जिससे राजस्व की आय बढ़ाई जा सके। उस दौर में राजस्व की आय केवल अनाज के उत्पादन से होती थी। 

सूरी करते थे राजस्व का इस्तेमाल

भारत के उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य था। तब शेर शाह सूरी को राजस्व का सही इस्तेमाल करने के तौर पर जाना जाता था। भारत की सबसे बड़ी सड़क ग्रांड ट्रंक का श्रेय शेर शाह सूरी को ही दिया जाता है। सूरी मूलभूत सुविधाओं के लिए राजस्व का सही इस्तेमाल करने के तौर पर याद किए जाते है। इतना ही नही नगदी लेन देन के लिए सूरी शाह करते थे। सूरी शाह के दौर में ही रूपया बनाया गया था। उस समय चांदी और सोने के सिक्के हुआ करते थे। 

रक्षा पर सबसे ज्यादा बजट

जिस प्रकार आज के दौर में बजट के दौरान रक्षा मंत्रालय पर सबसे ज्यादा फोकस किया जाता है, उसी प्रकार महाराजाओं के दौर में भी रक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता था। क्योंकि उस दौर में युद्ध की संभावनाएं अधिक रहती थी। ब्रिटिश राज से पहले भी रक्षा मामलों में सबसे ज्यादा खर्च किया जाता था। सूरी और अकबर के दौर में बजट का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा रक्षा पर खर्च किया जाता था। 


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