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Bhopal Railway News : ट्रेन लेट होने का असर... शताब्दी का भोपाल और वंदे भारत का दिल्ली में बन रहा खाना

Bhopal Railway News : ट्रेन लेट होने का असर... शताब्दी का भोपाल और वंदे भारत का दिल्ली में बन रहा खाना

भोपाल। कोहरे के चलते ट्रेनों पर काफी असर पड़ा है। हालात यह हो गए कि ट्रेनें पांच से आठ घंटे तक लेट चल रही हैं। ट्रेनें लेट होने से शताब्दी और वंदे भारत एक्सप्रेस में दिए जाने वाला खाना भी भोपाल और दिल्ली से बनाकर यात्रियों को दिया जा रहा है। हालांकि इन दोनों ही ट्रेनों का खाना ग्वालियर की बेस किचन से तैयार होकर ट्रेनों में चढ़ाया जाता है, लेकिन कोहरे के कारण ट्रेनों के लेट होने से सुबह का खाना तो इन दोनों ही ट्रेनों में बेस किचन से तैयार होकर दिया जा रहा है, लेकिन सुबह की ट्रेन दोपहर में आ रही है। इससे शाम की ट्रेन रात तक आ रही है। इसे देखते हुए अब शताब्दी एक्सप्रेस में शाम को मिलने वाला खाना भोपाल से और वंदे भारत में मिलने वाला खाना दिल्ली में बनकर इन ट्रेनों में दिया जा रहा है।

पांच घंटे बाद मिल रहा है खाना

बेस किचन में शताब्दी और वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए सुबह का खाना 9 बजे तक बनकर तैयार हो रहा है। लेकिन ट्रेन दोपहर एक बजे तक आ रही है। उसके बाद भी शताब्दी में यात्रियों को खाना झांसी स्टेशन के आसपास दिया जाता है। ऐसे में सुबह का खाना दोपहर में यात्रियों को मिल पा रहा है। इससे भी यात्रियों ने अब खाने के पैकेट लेना कम ही कर दिए हैं।

खाने के पैकेट भी हुए कम

ट्रेनों के लेट होने से यात्रियों द्वारा खाने के पैकेट भी कम ही लिए जा रहे हैं। जहां दो महीने पहले तक इन ट्रेनों में हर दिन पैकेट 500 तक बनकर चढ़ाए जा रहे थे। वह अब घटकर 300 पर आ गए हैं।

अब ट्रेन में सफर होगा और भी सुरक्षित 

 रेलवे यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए कंप्यूटराइज्ड डिजिटल सिंगल कार टेस्ट रिंग मशीन से ट्रेन को चैक करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह एयर ब्रेक की टेस्टिंग से लेकर कोच की ट्रॉली के बेसमेंट के नीचे होने वाली टेक्निकल समस्याओं व फॉल्ट को यह मशीन आसानी से चैक कर लेगी। पश्चिम-मध्य रेल जोन के प्रवक्ता हर्षित श्रीवास्तव का कहना है कि रेलवे ने ट्रेनों की सेफ्टी बढ़ाने के साथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया है। भारतीय रेलवे को आत्मनिर्भर बनाने में डिजिटल इंडिया की तरफ सराहनीय कदम उठाए जा रहे हैं। पमरे हमेशा ही डिजिटलीकरण और नई आधुनिक तकनीक मशीनों का उपयोग करने में आगे रहा है। रेलवे कोचिंग डिपो में मैन्युवल मशीनों के स्थान पर नई आधुनिक तकनीक की कंप्यूटराइज्ड मशीनों का उपयोग शुरू किया जा रहा है। नई आधुनिक तकनीक की मशीनों के उपयोग से कार्यों में भी तेजी आ रही है। 

इस तरह करते हैं टेस्टिंग

कंप्यूटराइज सिंगल कार टेस्ट रिंग मशीन का पहला उपयोग एक सिंगल कोच के एयर ब्रेक टेस्टिंग के लिए किया जाता है। इसी दौरान मशीन द्वारा कोच की ट्रॉली के बेस के नीचे तकनीकी खराबियों को देख लिया जाता है। कंप्यूटराइज्ड सिंगल कार टेस्ट रिंग मशीन द्वारा एक कोच के विभिन्न टेस्ट किए जाते हैं। इन टेस्टों से कोचों की सेफ्टी में बढ़ोतरी होती है। ट्रेन संचालन के लिए सेफ्टी भी बढ़ती है, जिससे ब्रेक लगने में पॉवर में कमी नहीं आती है। इससे पहले इन टेस्टों को कन्वेंशनल सिंगल कार टेस्टिंग रिंग मशीन द्वारा किया जाता था।

यह फायदे होंगे

कंप्यूटराइज सिंगल कार टेस्टिंग मशीन में सभी रीडिंग डिजिटल एवं एक्यूरेट प्राप्त होती हैं। 
इससे कई प्रकार के टेस्ट मुख्य टेस्ट एक क्लिक द्वारा ऑटोमेटिक हो जाते हैं। 
कंप्यूटराइज सिंगल कार टेस्ट रिंग मशीन में टच स्क्रीन डिस्प्ले है, जिससे सभी टेस्ट टच स्क्रीन में क्लिक करने से हो जाते हैं।  
मशीन में सभी टेस्ट कंप्लीट हो जाने पर रिपोर्ट स्वत: जनरेट हो जाती है।


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