भोपाल। राजधानी में सिटी बसों की व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई है। सड़कों पर बसों की जगह सिर्फ आॅटो दिखाई दे रहे हैं। इससे सवारियों को दो से तीन गुना तक किराया चुकाना पड़ रहा है। वहीं तीन सीट वाले ऑटो में पांच सवारी तक बैठाई जा रही हैं। इसको लेकर कई बार विवाद की भी स्थिति भी बन रही है। करीब 15 साल पहले शुरू हुईं सिटी बसों की संचालन शुरू के 10 साल ठीक चला, उसके बाद से स्थिति लगातार खराब होती जा रही है और अब हालत यह हो गई कि राजधानी पूरी तरह से बे-बस हो जाएगी।
बीसीएलएल के पूर्व डायरेक्टर केवल मिश्रा के अनुसार बसों का संचालन आसान किया जा सकता है। रोजाना ऑपरेटर और चालक और परिचालक से चर्चा कर समस्या का समाधान करना चाहिए। वहीं, वर्तमान डायरेक्टर मनोज राठौर के अनुसार आपरेटरों का पुराना भुगतान सबसे बड़ी दिक्कत है। इस संबंध में अधिकारियों को ही निर्णय लेना चाहिए।
अधिकारियों को समस्या हल करना चाहिए
राजधानी में लगातार सिटी बसों के बंद होने से समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब तो यह लगने लगा है कि सिटी पूरी तरह से बंद ही न हो जाएं। अधिकारियों को इसके लिए प्रयास करना चाहिए।
किशन सूर्यवंशी, अध्यक्ष, नगर निगम भोपाल
सिटी बसों को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि संचालन ठीक हो जाए। कई आपरेटरों की शिकायत है कि घाटा हो रहा है। शासन को भी पत्र लिखा है कि सिटी बसों का संचालन में कैसे सहयोग मिल सकता है।
निधि सिंह सीईओ, बीसीएलएल कंपनी