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सावधान! बेमौसम गुड़ में मिलावट, बन रहा धीमा जहर...

सावधान! बेमौसम गुड़ में मिलावट, बन रहा धीमा जहर...

नरसिंहपुर, एक ऐसा स्थान जो अपने शुद्ध और स्वादिष्ट गुड़ के लिए जाना जाता है, अब एक गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। यहां का गुड़, जो अपने उत्कृष्ट स्वाद और शुद्धता के लिए देशभर में प्रसिद्ध था, अब मिलावटखोरी और बेमौसम गुड़ की समस्या से जूझ रहा है। यह समस्या विशेष रूप से तब बढ़ गई है जब बाहरी गुड़ माफिया ने जिले के गुड़ बाजार को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।

बेमौसम गुड़ की समस्या:

आमतौर पर नरसिंहपुर का गुड़ ठंड के मौसम में बनाया जाता है, जब गन्ना पूरी तरह से पक चुका होता है और उससे निकलने वाले रस से शुद्ध और मीठा गुड़ तैयार किया जाता है। लेकिन अब, बेमौसम में गुड़ तैयार किया जा रहा है, जो सड़े हुए गुड़ या शुगर मिलों से निकलने वाले बेकार सीरे से बन रहा है। इस प्रकार का गुड़ स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इसमें कीड़े, मरी हुई मक्खियां और अन्य अशुद्धियाँ हो सकती हैं।

मिलावटखोर गुड़ माफिया का प्रभाव:

हाल ही में, बाहरी गुड़ माफियाओं ने नरसिंहपुर में आकर किसानों की गुड़ भट्टियां किराए पर ले ली हैं और मिलावटी गुड़ बनाने का काम शुरू कर दिया है। ये माफिया उत्तर प्रदेश और बिहार से आए हैं और अब जिले के किसानों को परेशान कर रहे हैं। इससे न केवल स्थानीय किसानों की साख पर असर पड़ा है, बल्कि जिले के गुड़ की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।

कमलनाथ सरकार की कार्रवाई और भाजपा सरकार का प्रभाव:

कमलनाथ सरकार के दौरान इस समस्या पर कुछ कार्रवाई की गई थी, जिससे जिले के किसानों को आशा थी कि मिलावटी गुड़ का निर्माण कम होगा और शुद्ध गुड़ ही बाजार में उपलब्ध रहेगा। लेकिन भाजपा सरकार के आने के बाद, यह समस्या फिर से बढ़ गई है और मिलावटखोर माफियाओं ने एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं। इससे किसानों की समस्याएँ और भी बढ़ गई हैं और गुड़ की शुद्धता पर प्रश्नचिन्ह लगा है।

प्रशासन की भूमिका:

जिले के आला अधिकारियों से संपर्क साधा गया है, लेकिन उन्होंने कैमरे पर कोई भी बयान देने से इंकार किया है। हालांकि, उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन जरूर दिया है। अब देखने की बात यह है कि प्रशासन मिलावटखोरों के खिलाफ कितनी प्रभावी कार्रवाई करता है या फिर इस मामले में केवल औपचारिकता ही निभाई जाती है।

नरसिंहपुर में बेमौसम गुड़ और मिलावटखोरों की समस्या ने स्थानीय किसानों और बाजार को प्रभावित किया है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रभावी प्रशासनिक कदम उठाना आवश्यक है ताकि शुद्धता और गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके।


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