Bageshwar Baba Padyatra: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा में आजकल रोजाना हजारों भक्त शामिल हो रहे हैं। यात्रा में शामिल होने वाले भक्तों के ठहरने, खाने और अन्य व्यवस्थाओं का जिम्मा पं. धीरेंद्र शास्त्री की विशेष टीम पर है, जो प्रत्येक पड़ाव पर हर सुविधा का ध्यान रखती है। यह यात्रा 21 नवंबर को बागेश्वर धाम से शुरू हुई थी, और यह 29 नवंबर को ओरछा धाम में समाप्त होगी।
150 लोगों की टीम तैनात
यात्रा के दौरान हर दिन हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं, जो सनातन धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था का इज़हार करने के लिए धीरेंद्र शास्त्री के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। यात्रा में शामिल भक्तों के लिए भोजन और ठहरने की व्यवस्था के लिए 150 कारीगरों की एक टीम तैनात की जाती है। यह टीम यात्रा के हर पड़ाव पर दो दिन पहले ही पहुंच जाती है और भोजन बनाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करती है। शाम 6 बजे से लेकर रात 3 बजे तक भक्तों के लिए प्रसाद (भोजन) का वितरण चलता है।
भोजन में पौष्टिक अहार
भोजन में विशेष ध्यान रखा जाता है कि सभी श्रद्धालुओं को स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन मिले। धीरेंद्र शास्त्री के लिए खाना बनाने वाले सुनील दाऊ ने बताया कि प्रत्येक पड़ाव पर 15 भट्टियों का इस्तेमाल किया जाता है। पं. धीरेंद्र शास्त्री के लिए विशेष रूप से दाल, चावल, रोटी, चटनी का इंतजाम किया जाता है। साथ ही, शास्त्री को चाय बहुत पसंद है, और उन्हें यात्रा के दौरान सबसे पहले चाय दी जाती है। यात्रा की शुरुआत में उन्हें अंकुरित नाश्ता भी दिया जाता है।
पंडालों व सांस्कृतिक आयोजन
यात्रा के हर पड़ाव पर, जहां हजारों भक्त ठहरते हैं, वहां खास इंतजाम किए जाते हैं। प्रत्येक स्थान पर पं. धीरेंद्र शास्त्री की टीम भक्तों के ठहरने के लिए पंड़ालों का निर्माण करती है, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है, ताकि श्रद्धालु आनंदित
रहें। निवाड़ी में ही 50 हजार लोगों की क्षमता वाला पंडाल तैयार किया गया है, जिसमें भक्तों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। इस पंडाल में शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने भव्य प्रस्तुति दी।
हिंदू-हिंदू भाई...
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बुधवार को नारा दिया कि जात-पात की करो विदाई, हिंदू-हिंदू भाई-भाई। बाबा बागेश्वर का कहना है कि यात्रा का उद्देश्य राजनीतिक नहीं है। शास्त्री ने पदयात्रा के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार को लेकर हिंदुओं को संगठित रहने की सलाह दी। साथ ही सामाजिक कुरीतियों को त्यागने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू कम हो रहा है। हिंदू जातियों में बंट गया है। बांग्लादेश के हिंदुओं पर अत्याचार हुआ, सबने देखा। अब हम चुप नहीं बैठेंगे। सब हिंदू एक होकर बताएंगे।
जात-पात की करो ...
उन्होंने कहा कि गांव में जो छुआछूत और जात-पात का रोग है, उसे ही दूर करने के लिए सनातन हिंदू एकता पदयात्रा निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि मंदिरों में लिखा हो कि जूते-चप्पल उतारकर आएं, लेकिन अब यह भी लिखा जाए कि जात-पात छोड़कर आएं। उन्होंने यह भी जोड़ा, हर व्यक्ति के मन से यह सोच मिटनी चाहिए कि कोई बड़ा है या छोटा। हम सब राम के हैं और राम हम सबके हैं। 9 दिन की यात्रा का विराम दो दिन बाद हो जाएगा, लेकिन जीवन का विराम भी एक दिन जरूर आएगा।