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INH Knowledge : औरंगजेब ने मुहर्रम पर निकलने वाले जुलूस पर लगाई दी थी पाबंदी, जानिए क्यों?

INH Knowledge : औरंगजेब ने मुहर्रम पर निकलने वाले जुलूस पर लगाई दी थी पाबंदी, जानिए क्यों?

INH Knowledge : मुस्लिम समुदाय के पवित्र त्यौहार मुहर्रम का पर्व बड़े ही धूम धाम से निकाला गया। मुहर्रम पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोग मातम मनाते है। यह त्यौहार इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार पहले महीने में मनाया जाता है। यानी 10वीं तारीख को 10वीं मुहर्रम मनाया जाता है। कहा जाता है कि कर्बला की जंग में मुहर्रम के दसवें दिन हजरत अली के बेटे हुसैन की हत्या कर दी गई थी। उसी दिन से शिया समुदाय मुहर्रम का पर्व मनाता आ रहा है। 

देश और दुनिया में मुहर्रम का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है, मुस्लिम वर्ग में दो समुदाय है एक शिया और दूसरा सुन्नी। दोनों समुदाय के लोग हजरत मुहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर मानते है। मुस्लिम समुदाय का पवित्र स्थल मक्का माना जाता है। मुगलों के शासनकाल में एक ऐसा वक्त भी आया था, जब औरंगजेब ने मुहर्रम के जुलूस पर प्रतिबंध लगा दिया था. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि उसने ऐसा क्यों किया था?

मुस्लिमों में बंटवारा

मुस्लिम समुदाय के शिया और सुन्नी के बीच 632 ई में बंटवारा हुआ था। बंटवारा इसलिए हुआ क्योंकि पैगंबर साहब के जाने के बाद इस्लाम की बागडोर कौन संभालेगा। इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया। पैगंबर सहाब के ससुर अबू बकर को उनका उत्तराधिकारी मानने वाले सुन्नी कहे जाने लगे और उनके चचेरे भाई हजरत अली को उत्तराधिकारी मानने वाले शिया कहे जाने लगे। 

कब से शुरू हुई मुहर्रम की पंरपरा

कहा जाता है कि इराक देश में स्थित कर्बला शहर को मुस्लिम समुदाय में पवित्र माना जाता है। इसे मक्का मदीना के बाद दूसरा पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। 680 ई के दौर में उमय्यद खिलाफत के दूसरे खलीफा यजीद मुआविया अपनी पकड़ मजबूत बनान चाहते थे। मुआविया ने हुसैन और उनके समर्थकों को दबाना शुरू कर दिया। जब एक दिन हुसैन अपने काफिले के साथ कर्बला पहुंचे तो मुआविया ने उन्हें जाने से रोक दिया। इसके बाद हुसैन आपने काफिले के साथ जंगल में रूके। उसी दौरान मुआविया ने हुसैन और उनके समर्थकों को घेर लिया। इसके बाद मुआविया ने जंग का ऐलान कर दिया। 

जंग में शहीद हुए हुसैन

10 मुहर्रक की सुबह की बात है जब हुसैन सहाब नमाज आदा कर रहे थे, उसी दौरान यदीज की फौज ने तीरो से हुसैन सहाब पर हमला बोल दिया। हुसैन सहाब पर हमला देख उनके साथियों ने उनका बचाव किया इस दौरान करीब 72 से अधिक उनके रक्षक शहीद हो गए जिसमें हुसैन सहाब और उनके बेटे भी शामिल थे। हुसैन सहाब पर हुए जुल्म की याद में मुहर्रम का पर्व मनाया जाने लगा। मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मातम मनाते हैं और जुलूस निकालते है। 

औरंगजेब ने लगाई थी मुहर्रम पर रोक 

जब हुमायूं के बाद अकबर बादशाह बने थे तब भी मुहर्रम पर्व की परंपरा निभाई जाती थी। जब शाहजहां के बाद औरंगजेब का शासन काल शुरू हुआ तब कई जगहों पर मुहर्रम जुलूस के दौरान दंगे फसाद होने लगे थे। दंगों में कई लोगों की मौत हो जाती थी। दंगों को देख औरंगजेब ने अपने शासन काल 1669 में मुहर्रम के जुलूस पर रोक लगा दी थी। हालांकि औरंगजेब के जाने के बाद यह परंपरा फिर से निभाई जाने लगी।


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