होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
बिजनेस
मनोरंजन
जरा हटके
सेहत
अध्यात्म
फैशन/लाइफ स्टाइल

 

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी, जानिए आपके थाली तक कैसे पहुंचता है जानवरों की चर्बी वाला खाना!

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी, जानिए आपके थाली तक कैसे पहुंचता है जानवरों की चर्बी वाला खाना!

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद लड्डू में मिली मिलावट का मामला इन दिनों चर्चा में है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भक्तों को दिए जा रहे प्रसाद में सूअर की चर्बी और बीफ टैलो जैसी सामग्री पाई गई है। इस घटना के बाद राजनीतिक  गलियारों में हंगामा मच गया है।

क्या है मामला?

तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी की जांच रिपोर्ट में मछली के तेल और जानवरों की चर्बी मिलाने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट में फिश ऑयल, एनिमल टैलो और लार्ड की मौजूदगी पाई गई है। एनिमल टैलो का मतलब पशुओं में पाए जाने वाले फैट से है, जबकि लार्ड जानवरों की चर्बी को दर्शाता है। इस घी में फिश ऑयल की मात्रा भी पाई गई है।

प्रसादम लड्डू में सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून, रेपसीड, अलसी, गेहूं के बीज, मक्का के बीज, कपास के बीज, मछली का तेल, नारियल और पाम कर्नेल वसा भी पाए गए। घी में इस्तेमाल होने वाली इन सामग्रियों को फॉरेन फैट के नाम से जाना जाता है।

क्या है फॉरेन फैट?

जब किसी डेयरी उत्पाद को बनाने के लिए नॉन-डेयरी सामग्री का उपयोग किया जाता है, तो उसे फॉरेन फैट कहा जाता है। फॉरेन फैट के रूप में घी में वेजिटेबल ऑयल, एनिमल फैट और हाइड्रोजेनेटेड ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। इसी फॉरेन फैट के जरिए नकली घी तैयार किया जा सकता है।


संबंधित समाचार