KERALA : अफ्रीकी स्वाइन फीवर के मामले केरल के कोट्टायम जिले के निजी pig farm में सामने आए हैं। इसके बाद अधिकारिओं द्वारा राज्य के कुछ इलाकों में पोर्क बेचने वाली दुकानों को तुरंत बंद करने का निर्देश दिया गया ताकि स्वस्थ सूअर संक्रमित जगहों पर न पहुंचे। इसके लिए भी जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं।
महामारी विज्ञानी राहुल ने बताया कि इस बीमारी का पहला केस 13 अक्टूबर को आया था। जिसके 2 से 3 दिन के अंदर फार्म में 6-7 सूअरों की मृत्यु हो गई। african swine fever virus इस मौत की वजह बनी। जांच के लिए भेजे गए सैम्पल्स से इसकी पुष्टि हुई।
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कितना खतरनाक है ये अफ्रीकी स्वाइन फीवर ?
ये एक ऐसा संक्रमण है जो पालतू और जंगली सूअरों को प्रभावित करता है। इस बीमारी में मृत्यु दर 100 % होने की वजह से किसी भी संक्रमित सूअरों कि जान नहीं बच पाती। यह फीवर इंसनों में न फैलकर जानवरों में छूने या बॉडी फ्लूइड के जरिये फैलता है।
सूअरों को कच्चा खाना खिलाने से भी फैल सकता है संक्रमण:
American Food and Drug Association का यह मानना है कि स्वाइन फीवर सूअरों को कच्चा खाना खिलाने से भी फैल सकता है, इस स्वाइन फीवर की वजह से सूअरों में तेज बुखार, भूख न लगना, कमजोरी, त्वचा में लालिमा, फफोले, दस्त, खांसी, और साँस लेने में परेशानी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
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अब तक 67 सूअर इसकी चपेट में:
जिस फार्म से ये मामले सामने है वहाँ 19 सूअरों की अब तक मौत हो चुकी है। वहीं 48 सूअरों को पशुपालन विभाग द्वारा इस बीमारी को रोकने के लिए मार दिया गया। इससे जानवरों के परिवहन, मांस की बिक्री और जानवरों को ले जाने वाले वाहनों पर सख्त पाबंदी लगा दिया गया है। इससे कुछ महीने पहले वायनाड और कन्नूर के कुछ खेतों से भी इस बीमारी के सामने आये थे।