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76th Republic Day : मुख्यमंत्री साय ने अंबिकापुर के पीजी कॉलेज मैदान में में किया ध्वजारोहण, बोले- 'भारत निरंतर तरक्की के नये शिखरों को छू रहा'

76th Republic Day : मुख्यमंत्री साय ने अंबिकापुर के पीजी कॉलेज मैदान में में किया ध्वजारोहण, बोले- 'भारत निरंतर तरक्की के नये शिखरों को छू रहा'

76th Republic Day :  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर के पीजी कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और संयुक्त परेड की सलामी ली। मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर आम जनता के नाम संदेश का वाचन किया। उन्होंने प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी।  

गणतंत्र उत्सव के पीछे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का बलिदान:

76th Republic Day : मुख्यमंत्री साय ने गणतंत्र दिवस समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज का दिन हम सबके लिए अत्यंत गौरवशाली है। आज हम देश के गणतंत्र का उत्सव मना रहे हैं। इसके पीछे उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का बलिदान है, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाई, उन संविधान निर्माताओं का योगदान है, जिन्होंने इस संविधान के माध्यम से भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया। उन विभूतियों का योगदान है, जो संविधान की रक्षा के लिए हमेशा डटे रहे तथा संविधान के मूल्यों पर चलकर अंत्योदय का कल्याण करते रहे। नक्सलवाद से लड़ते हुए देश की एकता और अखण्डता के लिए अनेक जवानों ने अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया, ताकि हम सुरक्षित रह सकें और समाज में शांति स्थापित हो सके। इन जवानों की शहादत को मैं शत्-शत् नमन करता हूं।  

भारत निरंतर तरक्की के नये शिखरों को छू रहा

76th Republic Day :  भारत की आजादी की यात्रा के साथ ही दुनिया के अनेक देशों ने भी अपनी स्वतंत्रता की यात्रा प्रारंभ की, लेकिन इनमें से कई देशों में शासन व्यवस्था पटरी से उतर गई और वहां की जनता आज अराजकता का सामना करने मजबूर है। गणतांत्रिक परंपराओं की अपनी ऐतिहासिक जड़ों और अपने श्रेष्ठ संविधान के बूते लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत अविचल खड़ा ही नहीं है अपितु निरंतर तरक्की के नये शिखरों को छू रहा है।

वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से प्रेरित

76th Republic Day : मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत का संविधान एक पवित्र दस्तावेज है। यह वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से प्रेरित है। इसे एक ऐसे राष्ट्र के नागरिकों ने तैयार किया, जिनकी भावनाओं के मूल में विश्व बंधुत्व और मानव कल्याण की सोच है। हमारी आजादी की लड़ाई की सोच हमारे संविधान में पूरी तरह से झलकती है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में जब हमारे छत्तीसगढ़ से संविधान निर्मात्री समिति के सदस्य संविधान तैयार कर रहे थे, तब निश्चय ही उनके सामने बाबा गुरु घासीदास जी के समतामूलक संदेश, शहीद वीरनारायण सिंह जी के संघर्ष की गाथा और पंडित सुंदरलाल शर्मा जी का छूआछूत विरोधी संघर्ष जैसे आदर्श रहे होंगे। इन सभी के विचारों को बाबा साहेब ने अंतिम ड्राफ्ट के रूप में बहुत सुंदरता से पिरोया था।

गणतंत्र हमें सत्यमेव जयते की सीख देता है:

76th Republic Day : इस गणतंत्र की धरोहर को सुरक्षित रखने और सहेजने-संवारने की जिम्मेदारी हमारी और भावी पीढ़ी के हाथों में है। हमारा गणतंत्र हमें सत्यमेव जयते की सीख देता है। मुंडकोपनिषद का यह सूत्र वाक्य हमें बताता है कि अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो, हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। अंततः विजय सत्य की ही होती है। हमारे गणतंत्र की इस भावना की विजय हमने गंभीर नक्सलग्रस्त इलाकों में देखी है।


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