MP BJP Jila Adhyaksh / विकास जैन भोपाल मध्यप्रदेश बीजेपी जिलाध्यक्षों को लेकर फंसा पेंच सुलझा नहीं पा रही है। प्रदेश भाजपा में बैठकों का दौर, रायशुमारी के बाद भी सूची जारी नहीं हो पाई। वही बीजेपी का कहना है कि जिलाध्यक्षों का फैसला आलाकमान करेगा। भाजपा के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब बीजेपी के स्थापना काल 1982 से अब तक पहली बार जिलाध्यक्ष के पैनल दिल्ली जाएंगे और वहीं से अध्यक्षों की घोषणा होगी। ऐसे में सवाल उठने लगे है कि आखिर रायशुमारी के लिफाफें कहां गए? आखिर बीजेपी क्यो जारी नहीं कर पा रही जिलाध्यक्षों की सूची। ये सवाल अब भाजपा के गलियारों में तेजी गूंजने लगे है।
नेताओं और कार्यकर्ताओं की उड़ी नींद
देश की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली बीजेपी जिलाध्यक्षों का फैसला नहीं कर पा रही है कि सूची को कब जारी करें? या होल्ड कर दें? या फिर जितने जिलों में सहमति बनी है उतने ही घोषित कर दें? जिलाध्यक्ष की कुर्सी किसे मिलेगी इसको लेकर पार्टी के बड़े नेताओं की ही नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं की नींद उड़ी हुई है। आखिर ये नौबत क्यों बन रही है? जबकि प्रदेश के हर जिले में गंभीरता से रायशुमारी हो चुकी है। रायशुमारी को करीब एक पखवाड़े से ज्यादा का समय भी हो गया है, लेकिन जिले के मुखियाओं का अतापता नहीं।
रायशुमारी के लिफाफे कहां हैं?
जिलाध्यक्षों को लेकर जब रायशुमारी हो चुकी है तो फिर संगठन सूची क्यों रोककर बैठा है। पार्टी के प्रदेश कार्यालय में चिंतन मंथन भी हो चुका, रोजाना बैठके हुई, फैसले भी हुए, लेकिन फैसले क्यों टले? कई जिलों के अध्यक्ष तय होने के बाद भी सूची जारी नहीं हुई? रायशुमारी के बाद लिफाफों में जिलाध्यक्षों के नाम बंद किए गए, वो लिफाफें आखिर कहां चले गए? जो जिलों से भोपाल पहुंचे थे।
शिवराज की मुलाकात से हलचल
केंद्रीय कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की नेताओं से मुलाकातें चर्चा में हैं। शिवराज ने पहले पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के निवास पहुंचे। इसके बाद सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के निवास पहुंचकर मुलाकात की। शिवराज सिंह कल शाम को दिल्ली पहुंच गए थे। दिल्ली में रात में प्रदेश सरकार के पूर्व गृह व परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने भी मुलाकात की। भूपेन्द्र सिंह सागर जिला अध्यक्ष चुनाव, कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को नहीं स्वीकारने जैसे मुद्दों को लेकर कुछ सप्ताह से चर्चाओं में हैं।
क्या विरोध से डर रही भाजपा?
जिन जिलों से अध्यक्ष के पैनल भोपाल पहुंचे हैं, उनमें से एक नाम तय करके क्यों घोषित नहीं किया जा रहा। क्या बीजेपी को अपने ही नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरोध का डर सता रहा है? अब ये सब सवाल भाजपा के गलियारों में हिचकोले खाने लगे है। प्रदेश भाजपा नेतृत्व से लेकर केन्द्रीय नेतृत्व तक सवाल खड़े होने लगे है। बीजेपी में सिर्फ एक ही सवाल गूंज रहा है, कब होगी सूची जारी? हमे कब मिलेगा जिले का मुखिया?