Mohan Cabinet : मध्यप्रदेश की मोहन सरकार के वन मंत्री रहे रामनिवास रावत ने विजयपुर से उपचुनाव हारने के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। रावत के इस्तीफे के बाद से वन विभाग का प्रभार नियमानुसार स्वत: ही मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास चला गया। इसके बाद से अब सत्ता के गलियारों में एक ही चर्चा हैं कि आखिर अब वन मंत्री कौन बनेगा? मुखिया मोहन आखिर किसे मौका देगी। मोहन सरकार में नियम के अनुसार 4 मंत्रियों की कुर्सी खाली है। सरकार में अभी फिलहाल कैबिनट और राज्य मंत्री मिलाकर कुल 31 मंत्री है। किसी भी सरकार में 35 मंत्री बनाए जा सकते है।
सरकार में 4 कुर्सी खाली
मुख्यमंंत्री मोहन यादव के पास सामान्य प्रशासन, गृह विभाग, जेल, वन विभाग, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, जनसम्पर्क, नर्मदा घाटी विकास, विमानन, खनिज साधन, लोक सेवा प्रबंधन और प्रवासी भारतीय जैसे विभाग है। जिनमें से सामान्य तौर पर गृह विभाग, वन विभाग, जनसंपर्क विभाग और खनिज साधन विभाग में मंत्री नियुक्त किए जाते है। अगर मोहन मंत्रिमंडल का विस्तार करती है तो इन चारों विभागों के मंत्री बनाए जा सकते है।
क्या नागर बनेंगे फिर से मंत्री?
रामनिवास रावत के बीजेपी में आने से पहले वन मंत्रालय का काम नागर सिंह चौहान संभाल रहे थे, लेकिन रावत के बीजेपी में आने के बाद मोहन सरकार ने रामनिवास रावत को वन मंत्री बनाया दिया था। जिसके चलते नागर सिंह चौहान ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि नागर सिंह फिर से मंत्री पद की दावेदारी कर सकते है। इतना ही नहीं नागर सिंह ने बीते दिनों अपने एक बयान में कहा था की अगर उन्हें वन मंत्री का दायित्व सौंपा जाता है वे इसे स्वीकार करने को तैयार है।
रेस में शामिल भूपेंद्र-गोपाल-पाठक?
इतना ही नहीं मंत्री पद को लेकर कई विधायक दावेदारी की तैयारी में जुट गए है। जिसमें संजय पाठक, रहली विधायक गोपाल भार्गव और खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह शामिल बताए जा रहे है। गोपाल भार्गव और भूपेन्द्र सिंह बीते महीनों से नाराज चल रहे है। इन दोनों की नाराजगी दूर करने के लिए दोनों को मंत्री पद दिया जा सकता है।
सीएम के कार्यक्रम से भागे भूपेंद्र-गोपाल!
सागर में रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव के दौरान भाजपा में कलह देखने को मिली थी। प्रदेश के कद्दावर नेता और सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव और शिवराज सिंह के चहेते करीबी पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह को मंच पर उचित स्थान नहीं मिलने के चलते नाराज हो गए थे। दोनों नेताओं को 9वें नंबर का स्थान मिला था। वही दोनों नेताओं से जूनियर विधायकों को उचित स्थान दिया गया था। इसी को लेकर दोनों सीनियर विधायक नाराज होकर मंच से उतरे और एक ही गाड़ी में सवार होकर चले गए।
शाह को मिल सकता है वन मंत्रालय?
इसके अलावा अगर मोहन सरकार मंत्रिमंडल का विस्तार करती है तो अमरवाड़ा से भाजपा विधायक कमलेश शाह को वन मंत्री बनाया जा सकता है। दरअसल, राम निवास रावत कांग्रेस से बीजेपी में आए थे। मोहन सरकार ने रावत को सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया था। वही अमरवाड़ा से भाजपा विधायक कमलेश शाह कांग्रेस से बीजेपी में आए थे और इस्तीफा देकर उपचुनाव लड़ा और विधायक बने। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार कमलेश शाह को सरकार में मंत्री बनाकर मौका दिया जा सकता है। बता दें कि चार पदों के लिए कई विधायकों ने लॉबिंग करना शुरू कर दिया है। हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कोई हलचल नहीं है, लेकिन कयासों का दौर शुरू हो गया है।