सुकमा: छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में अब माओवादी हिंसा की जगह प्रेम और विश्वास की नई इबारत लिखी जाएगी। दरअसल माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर अब विकास की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं। इस कड़ी में मड़कम-रव्वा और महेश-हेमला ने मुख्यमंत्री साय के समक्ष परिणय सूत्र में आबद्ध होकर वैवाहिक जीवन की नई शुरूआत की है। परिणय सूत्र में आबद्ध दोनों नवदम्पत्तियों को सीएम ने शुभकामनाएं और बधाई दी वहीं उनके सुखमय जीवन की कामना करते कहा कि, यह कहानी सुकमा जिले की तस्वीर बदलती है, जहां कभी बन्दूकें गूंजती थी, वहां अब शहनाईयां गूंज रही है।
विधिविधान से सम्पन्न कराया विवाह :
जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री साय ने कल सुकमा के मिनी स्टेडियम में पहुंचे थे। जहां पर उन्होंने 206 करोड़ रूपए से अधिक विकास कार्याें की सौगात दी। इस दौरान मौसम महेश और हेमला, मड़कम पाण्डू और रव्वा और जिला प्रशासन सुकमा से आग्रह पर नक्सल हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण करने वाले दंपत्ति की शादी में शामिल हुए।बता दें कि इन चारों को जिला प्रशासन ने भरोसा दिलाया था कि मुख्मयंत्री साय का जब भी सुकमा में आगमन होगा, उस दिन मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत वह उनका विवाह विधिविधान से सम्पन्न कराया जाएगा। तभी सुकमा प्रवास के दौरान 13 जनवरी को मिनी स्टेडियम में इन चारों आत्मसमर्पितों का विधि-विधान से विवाह साय की मौजूदगी में सम्पन्न हुआ है। हजारों लोगों ने नवदम्पत्तियों को आशीर्वाद देते हुए उनके सुखद वैवाहिक जीवन की कामना की है।
नक्सली संगठन से जुड़े हुए थे ये चारों :
जानकारी के मुताबिक कन्हाईपाड़ निवासी मड़कम पाण्डू और सल्लातोंग की रव्वा भीमे और डुब्बामरका की रहने वाली हेमला मुन्नी व गगनपल्ली गांव के रहने वाले मौसम महेश ये चारों पहले नक्सली संगठन से जुड़े हुए थे। इन चारों ने जून 2024 में छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर नक्सल हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण कर दिया था। मड़कम पाण्डू संगठन से जुड़े रहे। वहीं मौसम महेश लगभग बारह साल तक साथ ही रव्वा भीमे 6 साल तक और हेमला मुन्नी 9 साल तक नक्सल गतिविधियों और संगठन से जुड़ी रहीं।