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कब मनाई जाएगी दुर्गाअष्टमी व दुर्गानवमी और विजयादशमी, जानिए

कब मनाई जाएगी दुर्गाअष्टमी व दुर्गानवमी और विजयादशमी, जानिए

पंडित युवराज राजोरिया : कुंभराज से ज्योतिषाचार्य पंडित युवराज राजोरिया के शास्त्रोक्त प्रमाणानुशार शारदीय नवरात्रि में दुर्गाष्टमी व दुर्गानवमी 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नवरात्रि में कन्या पूजन करने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। व्रत पूजा रखने वाले भक्त देवी का हवन पूजन कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं। शास्त्रों में कन्याओं को देवी मां का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख शांति एवं संपन्नता आती है। कन्या भोज के दौरान नौ कन्याओं का होना आवश्यक होता हे नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या भोजन का विधान ग्शास्त्रों में बताया गया है।

विविध प्रकार से करें मां की पूजा

ज्योतिषाचार्य पं.युवराज राजोरिया ने बताया कि अष्टमी को विविध प्रकार से मां शक्ति की पूजा करें। इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। और विशेष आहुतियों के साथ देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए। इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए। दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए।

हर आयु की कन्या का होता है अलग महत्व

2 साल की कन्या को कौमारी कहा जाता है। इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता खत्म होती है। 3 साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है। त्रिमूर्ति के पूजन से धन धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है। 4 साल की कन्या कल्याणी मानी जाती है। इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है। 5 साल की कन्या रोहिणी माना गया है। इनकी पूजन से रोग मुक्ति मिलती है। 6 साल की कन्या कालिका होती हैं। इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है। 7 साल की कन्या को चंडिका माना जाता है। इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है। 8 साल की कन्या शांभवी होती है। इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है। 9 साल की कन्या दुर्गा को दुर्गा कहा गया है। इनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं। 10 साल की कन्या सुभद्रा है। सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है।

पंडित परमेश्वर दयाल शास्त्री मधुसूधनगड़ के अनुसार सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि में कदापि दुर्गाष्टमी पूजा नहीं की जाती नवमी युक्त अष्टमी में महा अष्टमी पूजा का महत्व है। राजोरिया के शास्त्र प्रमाण एवं वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि का आरंभ 10 अक्टूबर को दोपहर 12.32 मिनट से हो रहा है जिसका समापन अगले दिन 11 अक्टूबर को दोपहर 12.07 मिनट पर होगा। अष्टमी तिथि के समाप्त होते ही नवमीं तिथि शुरू हो जाएगी, जिसका समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10.59 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर महाअष्टमी पूजा एवं सायन व्यापनी तिथि अनुसार महानवमी पूजा,व्रत, कन्यापूजन हवन 11 अक्टूबर 2024 को करना शास्त्र सम्मत है। विजया दशमी पर्व अपराहन व्यापनी तिथि में किया जाता है। अत: 12 अक्टुबर शनिवार को दशहरा पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत है।


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