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Naxalites VS Maoist : नक्सलवादी और मओवादी में क्या अंतर? क्या आप जानते है?

Naxalites VS Maoist : नक्सलवादी और मओवादी में क्या अंतर? क्या आप जानते है?

Naxalites VS Maoist : देश के नक्सल प्रभावित राज्यों से आए दिन सेना और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की खबरे सामने आती रही है। खास तौर पर छत्तीसगढ़ से सबसे ज्यादा खबरे आती है। बीते दिनों छत्तीसगढ़ में करीब 50 नक्सलियों के सरेंडर किया था। लेकिन क्या आपको जानते है। कि नक्सलवादी और माओवादी के बीच क्या अंतर होता है। दोनों का रूपन हिसंक क्यों रहता है, क्या हैं दोनों की मांग, आइए जानते है। 

कौन होते है नक्सलवादी?

नक्सलवादी उन उग्रवादी समूहों को कहा जाता है जो सरकार और प्रशासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में शामिल होते हैं। इनकी विचारधारा कम्युनिस्ट (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) होती है, और ये समाज में वर्ग संघर्ष के जरिए सत्ता परिवर्तन लाने की कोशिश करते हैं। नक्सलवाद के इतिहास की बात करे तो इनकी शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई थी। जहां किसानों और मजदूरों ने जमींदारों के खिलाफ विद्रोह किया। यह आंदोलन नक्सलबाड़ी में शुरू हुआ था, इसलिए इसे "नक्सलवाद" कहा गया। यह आंदोलन चीनी क्रांतिकारी माओत्से तुंग की विचारधारा से प्रभावित था।

नक्सलवाद के प्रमुख कारण

गरीबी और बेरोजगारी – ग्रामीण इलाकों में आजीविका के साधनों की कमी।
भूमि विवाद – किसानों और आदिवासियों की ज़मीनें हड़प ली जाती हैं।
सरकारी उपेक्षा – पिछड़े इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी।
भ्रष्टाचार – गरीबों के लिए बनी योजनाओं का सही लाभ नहीं मिल पाता।

नक्सल प्रभावित राज्य

भारत के कई राज्यों में नक्सलवाद की सक्रियता देखी जाती है, जिन्हें "रेड कॉरिडोर" कहा जाता है। प्रमुख राज्य हैं। जिनमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों के कुछ हिस्से नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। 

सरकार ने उठाए कई कदम 

नक्सलवाद को खत्म करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए। सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन हंट 2009 में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए चलाया। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा। सरकार ने नक्सलियों के लिए पुनर्वास योजनाए शुरू कीं।

कौन होते है मओवादी?

माओवादी वे उग्रवादी होते हैं जो चीनी क्रांतिकारी माओ त्से-तुंग की विचारधारा से प्रेरित होकर सशस्त्र क्रांति में विश्वास रखते हैं। उनका मानना है कि गरीबों, किसानों और मजदूरों के नेतृत्व में सरकार को उखाड़ फेंककर समाजवादी शासन स्थापित किया जाना चाहिए। माओवाद साम्यवाद का एक रूप है, जिसमें हथियारबंद संघर्ष के जरिए सत्ता परिवर्तन को जरूरी माना जाता है। उनका मानना है कि ग्रामीण इलाकों से क्रांति की शुरुआत होनी चाहिए, फिर शहरों तक इसे फैलाया जाए।

भारत में माओवादी आंदोलन की जड़ें 1967 में पश्चिम बंगाल के "नक्सलबाड़ी आंदोलन" से जुड़ी हैं, इसलिए कई बार माओवादी और नक्सली शब्दों का एक-दूसरे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। माओवादी वे नक्सली गुट हैं, जो माओ त्से-तुंग की विचारधारा को मानते हैं और हथियारबंद संघर्ष को क्रांति का माध्यम मानते हैं। ये लोग पुलिस, सरकारी संस्थानों, उद्योगों और रेलवे पर हमले करते हैं और अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में अपनी समानांतर सरकार चलाने की कोशिश करते हैं। भारत में माओवादी प्रभाव वाले क्षेत्रों की बात करे तो छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्से शामिल है। 


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