भोपाल। विधानसभा के चुनाव महाराष्ट्र और झारखंड में हो रहे हैं, लेकिन मोर्चे पर डटे हैं प्रदेश भाजपा के कई दिग्गज नेता और मंत्री। इन्हें अलग- अलग क्षेत्रों में पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने की जवाबदारी मिली है। महाराष्ट्र में चुनाव प्रबंधन में कुशल और जीत का माहौल बनाने में सक्षम प्रदेश सरकार के ताकतवर मंत्रियों कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और विश्वास सारंग को जवाबदारी सौंपी गई है तो प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, राज्यसभा सदस्य बंशीलाल गुर्जर, सांसद गजेंद्र सिंह पटेल भी मोर्चे पर डटे हैं। महिलाओं में राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष माया नरोलिया और प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा को भी महाराष्ट्र भेजा गया है।
झारखंड चुनाव में भी मप्र की भूमिका भी कम नहीं है। वहां के प्रभारी पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं। उन्होंने कहा भी है कि उन्हें लगने लगा है कि वे झारखंड के ही निवासी हैं। इसके साथ आरएसएस से जुड़े रहे भाजपा के पूर्व संभागीय संगठन मंत्री आशुतोष तिवारी के साथ भाजपा के आदिवासी नेताओं को झारखंड भेजा गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का दोनों राज्यों में चुनावी दौरा लगतार चल रहा है।
■ महिला नेत्रियों में कविता, माया और नेहा को दी गई जवाबदारी
■ झारखंड में आशुतोष के साथ लगी आदिवासी नेताओं की ड्यूटी
पचास सीटों की कमान मध्य प्रदेश के नेताओं के हाथ
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा और सहयोगी दलों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विरोधी महाअघाड़ी गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की थी। इसे ध्यान में रखते हुए भाजपा के रणनीतिकार एक-एक विधानसभा सीट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। इसीलिए चुनावी मैनेजमेंट में माहिर महाराष्ट्र के आसपास के राज्यों से नेताओं को स्पेशल तौर पर तैनात किया गया है। कुल मिलाकर महाराष्ट्र में प्रदेश के नेताओं और कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रदेश की सीमा से सटी महाराष्ट्र की लगभग 50 विधानसभा सीटों की चुनावी कमान मध्य प्रदेश के नेताओं ने संभाल रखी है।
मध्य प्रदेश के 9 जिले महाराष्ट्र की सीमा से सटे
देश के हृदय स्थल में स्थित मध्यप्रदेश के सर्वाधिक 13 जिलों की सीमाएं उत्तर प्रदेश से लगी हुई है। इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है। जहां मध्यप्रदेश के 9 जिले अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी और बालाघाट महाराष्ट्र से सटे हुए हैं। इसकी वजह से उम्र के साथ महाराष्ट्र के चुनाव मप्र की प्रमुख भूमिका रहती है। महाराष्ट्र और मप्र के बीच व्यापारिक गतिविधियां व्यापक पैमाने पर चलती हैं। नागपुर स्वास्थ्य के क्षेत्र में यदि सबसे बड़ा हब बना है तो उसमें मध्यप्रदेश के मरीजों की संख्या का महत्वपूर्ण योगदान है। मध्य प्रदेश के कुछ नेता महाराष्ट्र में विदर्भ क्षेत्र की कमान संभाल रहे हैं, जिसका हेड क्वार्टर नागपुर को बनाया गया है।
झारखंड में डॉ. मोहन और शिवराज समेत आदिवासी नेताओं की तैनाती
महाराष्ट्र की तुलना में झारखंड भेजे गए प्रदेश के भाजपा नेताओं की तादाद कम है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रभारी होने के नाते झारखंड में प्रमुख भूमिका में हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव लगातार चुनावी दौरे कर रहे हैं। प्रदेश से आशुतोष तिवारी के अलावा आदिवासी नेताओं फग्गन सिंह कुलस्ते और ओम प्रकाश धुर्वे जैसे नेताओं को झारखंड में जवाबदारी दी गई है, क्योंकि झारखंड आदिवासी बहुत राज्य है।
अधिकांश नेता पूरा कर चुके प्रभार के क्षेत्रों का दौरा
प्रदेश के जिन नेताओं की ड्यूटी महाराष्ट्र में लगाई गई है। उनमें से अधिकांश अपने प्रभार वाले इलाकों में दो दौर का दौरा पूरा कर चुके हैं। जैसे, कैलाश विजयवर्गीय नागपुर शहर और ग्रामीण क्षेत्र की लगभग 12 विधानसभा सीटों का चुनाव देख रहे हैं। मंत्री प्रहलाद पटेल को वर्धा और अमरावती के विधानसभा क्षेत्र मिले हैं। विश्वास सारंग अकोला और बुलढाणा में भाजपा को जिताने में ताकत झोंक रहे हैं। नरोत्तम मिश्रा ने भंडारा और गोंदिया क्षेत्र में डेरा डाल रखा है। इसी प्रकार नेहा बग्गा, माया नरोलिया, कविता पाटीदार जवाबदारी वाले क्षेत्रों में मेहनत कर रहे है। इन सभी नेताओं ने अपने प्रभार के क्षेत्रों का दौरा पूरा कर लिया है।