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MP BJP Jila Adhyaksh : अब दिल्ली दरबार के हाथों जिलाध्यक्षों की कमान! 

MP BJP Jila Adhyaksh : अब दिल्ली दरबार के हाथों जिलाध्यक्षों की कमान! 

MP BJP Jila Adhyaksh : भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची को लेकर सस्पेंश बरकरार है। ग्वालियर, इंदौर, सागर और धार सहित लगभग डेढ़ दर्जन जिलों में नेताओं के बीच खींचतान के कारण सूची को लेकर पेंच फंस गया है।  इसकी वजह से भाजपा जिलाध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि जब बड़े नेताओं की मर्जी से ही जिलाध्यक्षों के नाम तय किए जाना है तो निर्वाचन का नाटक क्यों किया गया? 

ग्वालियर, सागर, इंदौर में खींचतान

ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। दोनों अपने-अपने समर्थकों के लिए अड़े हुए हैं। इसी प्रकार सागर में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह तथा विधायक शैलेंद्र जैन अपने-अपने समर्थकों के लिए अड़े हैं। इंदौर में हमेशा की तरह मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बीच सहमति नहीं बन सकी है। इसके अलावा धार, रीवा, निवाड़ी, सिंगरौली सहित लगभग डेढ़ दर्जन जिलों में भी स्थानीय नेताओं के बीच जिलाध्यक्षों को लेकर खींचतान है। 

आधे से ज्यादा जिलाध्यक्षों की घोषणा संभव

केंद्रीय टीम से चर्चा के बाद भी यदि सभी जिलों में अध्यक्षों को लेकर सहमति नहीं बन पाई तो प्रदेश के उन आधे से ज्यादा जिलों के अध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी, जहां कोई विवाद नहीं है। इन जिलों के लिए पहले ही सहमति बन चुकी है। बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए 60 में से आधे अर्थात कम से कम 30 जिलाध्यक्षों का निर्वाचन जरूरी है। इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व विवाद वाले जिलों के चुनाव होल्ड कर सकता है। लगभग डेढ़ दर्जन जिलाध्यक्षों को होल्ड कर शेष जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान बुधवार को किया जा सकता है।

दिल्ली पहुंचे वीडी-हितानंद

प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश महामंत्री हितानंद की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ बैठक हो चुकी है फिर भी नतीजा नहीं निकल सका। लिहाजा, वीडी और हितानंद मंगलवार को दिल्ली रवाना हो गए। वहां केंद्रीय टीम के नेताओं प्रदेश संगठन चुनाव की पर्यवेक्षक सरोज पांडेय, प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश के साथ मंथन होगा। इसके बाद 8-9 जनवरी को जिलाध्यक्षों की सूची जारी हो सकती है। सूची में और विलंब इसलिए नहीं होगा, क्योंकि इसके तत्काल बाद प्रदेशाध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया प्रारंभ होना है।


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