राजा शर्मा // डोंगरगढ़ - राजनांदगांव जिले की धर्मनगरी डोंगरगढ़ स्थित जैन तीर्थ चंद्रगिरी तीर्थस्थल में आयोजित समाधि स्मारक महोत्सव के समापन अवसर पर भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी उपस्थिति दी। अमित शाह ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की समाधि स्थल पहुंचकर आशीर्वाद प्राप्त किया और आचार्य श्री के समाधि स्मारक का भूमिपूजन किया। अमित शाह के साथ राज्यसभा सांसद नवीन जैन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, गृह मंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओ पी चौधरी, जिले के सांसद संतोष पांडे मौजूद रहे।
दिनांक 17 फरवरी को लिए थे समाधि:
आपको बता दें आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने धर्मनगरी डोंगरगढ़ में ना सिर्फ कई चातुर्मास बिताए बल्कि अपने जीवन के अंतिम समय के लिए भी इस पवित्र चंद्रगिरी तीर्थ स्थल का चयन किया और अपने शरीर त्याग कर 17 फरवरी को ब्रम्हलीन हो गए। उनके पुण्यतिथि को एक वर्ष पूर्ण होने पर जैन समाज के द्वारा 1 फरवरी से 6 फरवरी तक समाधि स्मारक महोत्सव आयोजित किया गया जिसके समापन पर अमित शाह पहुंचे।
100 रुपये के सिक्के का किया विमोचन :
अमित शाह ने विद्यासागर जी महाराज के चित्र वाले 100 रुपये के सिक्के का विमोचन किया। इसके अलावा पुस्तक का विमोचन भी किया गया। डाक विभाग द्वारा जारी विशेष कवर विद्याकन का अनावरण भी किया गया। समारोह को अमित शाह के अलावा राज्यसभा सांसद नवीन जैन, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, गृह मंत्री विजय शर्मा ने भी संबोधित किया। विद्यासागर जी ने कहा था कि भारत को इंडिया मत बनाओ भारत को भारत ही रहने दो। यह बात मोदी जी तक पहुंच गई और उन्होंने प्रस्ताव पास कर इंडिया को भारत बना दिया। उन्होंने कहा था कि भारत के लोग बहुत भाग्यशाली हैं जिन्हें मोदी जी जैसा प्रधानमंत्री और अमित शाह जैसा गृह मंत्री मिला है।
विद्योदय का किया लोकार्पण :
प्रतिभास्थली विद्योदय ज्ञानपीठ रोजगार उन्मुखी निःशुल्क कन्या विद्यालय कारोपानी डिंडौरी मध्यप्रदेश का डिजिटल लोकार्पण किया गया । विनयांजलि प्रतिभामंडल न्यास जबलपुर। विशेषरूप से आदिवासी अंचल को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से 900 बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा व रोजगार प्रदान करने वाले विद्योदय का लोकार्पण किया गया। अमित शाह ने कहा सभी संतो के चरणों मे प्रणाम कर मैं अपनी बात प्रारंभ करता हूँ। जिस भूमि को उन्होंने अपने अंतिम समय के लिए चुना उस पवित्र भूमि में एक वर्ष बाद मैं श्रंद्धाजलि देने आया हूं। वो केवल एक जैनाचार्य नहीं थे बल्कि एक युग पुरुष थे। वो अपने कर्म से धर्म के साथ साथ देश की पहचान को व्याख्याति करने का कार्य किया।
108 पदचिन्हों का भी विमोचन किया गया:
मैं कई बार उनके सानिध्य में बैठा। उनका मानना था कि हमारे देश की भाषा, प्रधानमंत्री मोदी जी ने आचार्य श्री के विचार को बिना किसी राजनीतिकरण किये हुए धरातल पर उतारा। जीवन के अंतिम समय तक तपस्या का मार्ग नहीं त्यागा। अपनी इच्छा शक्ति से जैनत्व को भी आध्यात्मिक ऊर्जा से प्रकाशवान किया। अहिँसा परमो धर्म का सिद्धांत किसी की भी आलोचना किये बिना। पांच रुपए का एक कवर लिफाफा जारी करे यह मांग मैने जब मोदी जी के सामने रखी तो उन्होंने बिना देर किए कहा कि आप आगे बढिये। मुझे विश्वास है यह स्थान युगों युगों तक उनके सिद्धांत और उपदेशों के प्रचार का केन्द्र बनकर रहेगा। उनकी समाधि का विद्यातन रखा गया है। 108 पदचिन्हों का भी विमोचन किया गया है। जब गुलामी का कालखंड था तब संतो ने भक्ति की ज्योत जलाए रखे। विद्यासागर जी महाराज एक मात्र ऐसे संत थे जिन्होंने मात्र भाषा को पकड़कर रखा। हर जगह पैदल चलकर त्याग की पराकाष्ठा दी। उन्होंने सिखाया कि हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है। उनके अनुयायियों की फौज में मैं भी एक अनुयायी हूँ। इस स्थान को इतना भव्य बनाइये कि यह स्थान पूरे विश्व मे प्रतिस्थापित हो।