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Union Carbide : 337 मीट्रिक टन कचरे का हानिकारक प्रभाव लगभग खत्म, फिर भी वैज्ञािनक तरीके से होगा नष्ट

Union Carbide : 337 मीट्रिक टन कचरे का हानिकारक प्रभाव लगभग खत्म, फिर भी वैज्ञािनक तरीके से होगा नष्ट

भोपाल। यूनियन कार्बाइड (Union Carbide ) के कचरे के विनिष्टीकरण (Disposal) को लेकर शुरू तमाम तरह की शंकाओं पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका विषैला प्रभाव 25 साल में लगभग समाप्त हो जाता है। इसके बावजूद कचरे का निबटान वैज्ञानिक तरीके से ट्रायल रन के बाद किया जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि हादसे के 40 वर्ष बीतने के बाद भोपाल में रखा लगभग 337 मीट्रिक टन कचरे का हानिकारक प्रभाव लगभग खत्म हो गया है। कांग्रेस के आरोपों पर उन्होंने कहा कि यह तो उन्हीं के समय का है, ऐसे में इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास समत्व में प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस धार में तो विरोध करती है, पर भाेपाल में कुछ नहीं बोलती। ऐसे में क्या कहा जाए। कचरे के विनिष्टीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई की जा रही है। कचरे का निष्पादन जनता की शंकाओं को दूर कर सावधानीपूर्वक किया जाएगा। 

उन्होंने कहा कि जनता के सरोकार प्राथमिकता में सबसे ऊपर हैं, कचरे के विनिष्टीकरण की कार्रवाई सतत्ा निगरानी में की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बचे हुए शेष कचरे में 60 प्रतिशत से अधिक केवल स्थानीय मिट्टी, 40 प्रतिशत में नेप्थॉल, रिएक्टर रेसिड्यूज और सेमी प्रोसेस्ड पेस्टीसाइड्स का अपशिष्ट है। इसमें मौजूद 7 नेप्थॉल रेसीड्यूस मूलतः मिथाइल आइसो साइनेट एवं कीटनाशकों के बनने की प्रक्रिया का सह-उत्पाद होता है। 

सफल ट्रायल रन की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई थी

मुख्यमंत्री ने बताया कि कचरे के निपटान की प्रक्रिया का केंद्र सरकार की विभिन्न संस्थाओं जैसे- नीरी (नेशनल इन्वॉयरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट), नागपुर, एनजीआरआई (नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीटयूट) हैदराबाद, आईअाईसीटी (इंडीयन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी) तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से समय-समय पर गहन परीक्षण किया गया। उनके अध्ययन तथा सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तुत प्रतिवेदनों के आधार पर भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को मार्च, 2013 में दिए गए निर्देशानुसार केरल कोच्चि स्थित हिंदुस्तान इनसेक्टीसाइड लिमिटेड के 10 टन यूनियन कार्बाइड के समान कचरे का परिवहन कर पीथमपुर स्थित टीएसडीएफ में ट्रायल रन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में किया गया।

 सफल ट्रायल रन का प्रतिवेदन सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2014 में यूसीआईएल के 10 मीट्रिक टन कचरे का एक और ट्रायल रन भारत सरकार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली की निगरानी में टीएसडीएफ पीथमपुर मे किए जाने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस ट्रायल रन की वीडियोग्राफी कराने को कहा। अगस्त 2015 में ट्रायल रन के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रायोगिक निपटान की समस्त रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट हुआ कि इस प्रकार के कचरे के निपटान से वातावरण को कोई नुकसान नही हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी रिपोर्ट के गहन परीक्षण के बाद ही यूसीआईएल के कचरे के निपटान की कार्रवाई को आगे बढ़ाने एवं उन्हें नष्ट करने का निर्देश जारी किया।

मुख्य सचिव ने भी 3 बिंदुओं पर कराई जांच

कचरे के विनिष्टीकरण की कार्रवाई के संबंध में समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए जा रहे निर्देशों के अतिरिक्त मप्र के मुख्य सचिव ने विस्तृत रूप से तीन बिंदुओं को आधार बनाकर पृथक से जांच कराई। जांच के बिंदु में आसपास के गांवों में स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण, फसल की उत्पादकता पर प्रभाव और क्षेत्रीय जल स्त्रोतों की गुणवत्ता का परीक्षण थे। तीनों बिंदुओं के परीक्षण में यह पाया गया कि यूसीआईएल कचरे के निष्पादन से किसी भी प्रकार के नकारात्मक परिणाम परिलक्षित नहीं हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कचरे के निपटान की प्रक्रिया को लेकर शासन पूरी तरह से संवेदनशील हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही सभी संबंधित टीमों की सतत निगरानी में विनिष्टीकरण की कार्रवाई की जाएगी। धार के प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने धार में अधिकारियों के साथ बैठक की है। निबटान के बाद जो राख बचेगी, उसे कंटेनर के जरिए उसका डिस्पोजल कराएंगे।


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