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नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का रास्ता साफ: नगर पालिका संशोधन विधेयक विधानसभा से पास

नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का रास्ता साफ: नगर पालिका संशोधन विधेयक विधानसभा से पास

रायपुर : विधानसभा में नगर निगम संशोधन विधेयक पेश किया गया, जिसपर नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने कहा इस संशोधन से मजबूत नगर सरकार बनेगी. महापौर, नगर पंचायत अध्यक्ष बेखौफ होकर निडर होकर काम कर सकेंगे.  नगर निगम संशोधन विधेयक ध्वनि मत से पारित किया गया. 

छत्तीसगढ़ नगर पालिका संशोधन विधेयक विधानसभा से पास हो गया है. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का रास्ता साफ हो गया है. नगरीय निकाय में कार्यकाल पूरा होने पर प्रशासक 6 माह तक नियुक्त हो सकेंगे. महापौर और नगरपालिका एवं नगर पंचायत अध्यक्ष चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होंगे. निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण अधिकतम 50 प्रतिशत का नियम लागू किया गया. विपक्ष की अनुपस्थिति में संशोधन विधेयक पास हुए.  

छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज नगर पालिका और नगर निगम संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ, दोनों विधेयक पारित होने पर नगरीय प्रशासन मंत्री और डिप्टी CM अरुण साव ने कहा कि 2019 तक चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता है लेकिन राज्य में कांग्रेस के सरकार बनने के बाद खरीद फ़रोक्त के नियम से जनता के अधिकारों को छिनने  का काम किया था, अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर अध्यक्ष की चुनाव होते थे तो पार्षद प्रस्ताव लाकर महापौर को हटा देते थे, तब डरकर काम करना पड़ता था और स्वतंत्र रूप से महापौर नगर पालिका अध्यक्ष काम नहीं कर पाते थे. अब नगर निगम, नगर पालिका संशोधन विधेयक पारित होने से  एक सशक्त और लोकतांत्रिक नगरीय निकायों के गठन का रास्ता प्रशस्त हुआ है, साथ ही डिप्टी सीएम साव ने inh 24*7 से बातचीत में स्पष्ट कहा है कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की तैयारी सरकार ने कर ली है. 
 

 'विधेयक संविधान के विपरीत': उमेश पटेल और राघवेन्द्र सिंह

खरसिया से कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने विधेयक को संविधान के विपरीत बताते हुए विधि विशेषज्ञों से विधेयक पर राय लेने का सुझाव दिया। वहीं विधायक राघवेन्द्र सिंह ने कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि, विधेयक संविधान के विपरीत है, इसे सदन में लाने की अनुमति नहीं मिलना चाहिए। 

विपक्ष ने विधेयक के विरोध में सदन से किया बहिर्गमन :

नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा- हम संविधान के विपरीत विधेयक पारित होने नहीं देंगे। हम सदन में विधेयक पेश होते समय मौजूद नहीं रहेंगे। आसंदी ने विधेयक के पेश होने और पारित होने की अनुमति दी। लेकिन इसी बीच विपक्ष ने विधेयक के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया।


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