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नक्सलियों के खौफ से वीरान था गांव, पुलिस कैंप खुलने से लौटे ग्रामीण, 14 साल बाद गांव की लौटी रौनक

नक्सलियों के खौफ से वीरान था गांव, पुलिस कैंप खुलने से लौटे ग्रामीण, 14 साल बाद गांव की लौटी रौनक

रिपोर्टर - गौरव श्रीवास्तव 
कांकेर।
जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाका माने जाने वाले परतापुर क्षेत्र के महला गांव में फिर से रौनक लौट आई है। कभी यहां नक्सलियों की इतनी दहशत थी कि पूरा गांव खाली हो गया था। ग्रामीण अपना घर, खेत सब कुछ छोड़कर जा चुके थे वो सिर्फ जीना चाहते थे लेकिन फिर यहां पुलिस ने कैंप खोला और नक्सलियों को बैकफुट पर धकेल दिया। धीरे धीरे ग्रामीण अपने घरों की ओर लौटने लगे। अब आलम ये है कि प्रशासन के अधिकारी भी यहां बेखौफ होकर शासन की योजना लेकर पहुंच रहे है और ग्रामीणों की मांगे सुन रहे है।

कलेक्टर ने किया गाँव का दौरा 
जिले के कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर खुद महला गांव पहुंचे और ग्रामीणों की समस्या सुनी। उन्हें जल्द पूरा करने का आश्वासन भी दिया है। परतापुर के आश्रित ग्राम महला के ग्रामीण नक्सली खौफ में वर्ष 2010  से पलायन कर पखांजूर चले गए थे. पूरा गांव वीरान हो चुका था. बाद में  पुलिस ने यहां वर्ष 2015 के करीब बीएसएफ  कैम्प खोला जिसके बाद कई दफा नक्सलियों ने जवानों को नुकसान भी पहुंचाया।  6 जवानों की शहादत भी हुई लेकिन जवानों ने इलाके से नक्सलियों को खदेड़ कर ही दम लिया और अब इस गांव में खुशहाली लौट आई है। 

अधिकारीयों को दिए निर्देश 
कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने बताया कि गांव में शिविर लगाया गया था जिसमें ग्रामीणों ने मुख्य रूप से सड़क और पानी की मांग रखी है, जिसको लेकर अधिकारियों को जल्द से जल्द मांगे पूरी करने निर्देश दिए गए है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में लगातार पुलिस के द्वारा चलाए जा रहे अभियान से नक्सली बैकफुट पर है और अब ग्रामीणों के विकास में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।

 

 


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