Sharadiya Navratri 2024: नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। माँ सिद्धिदात्री को शक्तियों की देवी माना जाता है, और ये मोक्ष एवं सिद्धियों की दात्री हैं। भक्त इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना के साथ-साथ कन्याओं का पूजन या उन्हें भोजन भी कराते हैं। ऐसा करने से भक्तों पर माँ दुर्गा की कृपा बनी रहती है। लोग विशेष रूप से कन्या पूजन के साथ माँ सिद्धिदात्री की आराधना करते हैं।
पूजा विधि:
Sharadiya Navratri 2024: माँ सिद्धिदात्री की पूजा शुरू करने से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर कुशा या फूलों से मंडल बनाएं। एक कलश में जल भरकर, उस पर सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते रखें और उसे पूजा स्थान पर रखें। एक दीया जलाएं। माँ को फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
माँ सिद्धिदात्री के विशेष मंत्रों का जाप करें।
ॐ सिद्धिदात्री नमः।
ॐ ह्लीं सिद्धिदात्री महामाया नमः।
ॐ महा देवी चक्र विद्या मम सिद्धिं कुरु स्वाहा।
माँ सिद्धिदात्री पूजा का विशेष महत्व:
Sharadiya Navratri 2024: माँ सिद्धिदात्री पूजा का विशेष महत्व है, जो नवरात्रि के अंतिम दिन मनाई जाती है। इसके कुछ प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:
सिद्धियों की दात्री: माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों, ज्ञान और शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी पूजा से भक्त को आत्मिक और भौतिक दोनों प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
मुक्ति और मोक्ष: माँ सिद्धिदात्री मोक्ष की देवी हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति जीवन के संकटकाल में भी सही मार्ग चुनता है और अंततः मुक्ति प्राप्त करता है।
शक्ति और साहस: इस दिन की पूजा से व्यक्ति में साहस, आत्मविश्वास और बल मिलता है। कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता बढ़ती है।
नौ दिन के उपवास का फल: नवरात्रि के नौ दिन के उपवास और साधना का फल इस दिन माँ सिद्धिदात्री की कृपा के रूप में प्राप्त होता है।
समाज और परिवार की कल्याण: माँ सिद्धिदात्री की पूजा से न केवल व्यक्ति की बल्कि उसके परिवार और समाज की भी भलाई होती है।
समर्पण और भक्ति: इस दिन भक्त अपने संकल्पों और मनोकामनाओं को लेकर माँ के समक्ष प्रस्तुत करते हैं, जिससे भक्ति और समर्पण की भावना बढ़ती है।
माँ सिद्धिदात्री की कृपा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप :
Sharadiya Navratri 2024: माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और आकर्षक है। उनके स्वरूप की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप सौम्य और मोहक है। उनका चेहरा पूर्णिमा की चाँद की तरह चमकता है। माँ के चार हाथ होते हैं। प्रत्येक हाथ में एक विशेष वस्तु होती है:
कमल का फूल: भक्ति और समर्पण का प्रतीक।
गदा: शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक।
शंख: आध्यात्मिक जागृति और विजय का प्रतीक।
दर्पण: आत्म-ज्ञान और स्व-निरीक्षण का प्रतीक।
सवारी: माँ सिद्धिदात्री की सवारी नंदी (शिव का बैल) होती है, जो शक्ति और भक्ति का प्रतीक है।
आभूषण: माँ ने अत्यंत सुंदर आभूषण धारण किए होते हैं, जो उनके दिव्य स्वरूप को और भी उजागर करते हैं।
आसनों में बैठी: माँ अक्सर पद्मासन या सुखासन में बैठी दिखाई जाती हैं, जो ध्यान और शांति का प्रतीक है।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप समस्त शक्तियों का संयोग है, और उनकी पूजा से भक्तों को शक्ति, ज्ञान और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।