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मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में धांधली! अधिकारी एवं कर्मचारियों ने उड़ाई सरकारी योजनाओं की धज्जियां

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में धांधली! अधिकारी एवं कर्मचारियों ने उड़ाई सरकारी योजनाओं की धज्जियां

राजा शर्मा //डोंगरगढ़ : प्रदेश सरकार जनता को लाभ पहुंचाने नई-नई योजनाओं का गठन करती जिससे आम जन मानस को लाभ मिल सके लेकिन धरातल में बैठे अधिकारी एवं कर्मचारी सरकार की योजनाओं की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। 

दरअसल, राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विकास खण्ड अन्तर्गत आने वाली ग्राम कोठीटोला में महिला बाल विकास ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में 6 जोड़ों की सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें अधिकारी हिन्दू धर्म को मजाक बनाते हुए दिखे।

बिना जनेऊ एवम् शिखा बंधन के संपन्न नहीं होती धार्मिक कार्य :

पूरे वैवाहिक कार्यक्रम में नव विवाहित जोड़ों का नातों गठबंधन किया गया और नाही सही मंत्रों का उच्चारण देखने को मिला। वैवाहिक कार्यक्रम में पूजा पढ़ने वाले से जब जानना चाहा तो उन्होंने अपना नाम पवन कुमार यादव और गायत्री परिवार से होना बताया गया जब उनसे पूछा गया कि क्या आप जनेऊ पहनते तो ना तो जनेऊ धारण करना एवम् शिखा बंधन तक का न होना बताया गया जबकि हिन्दू पूजा पद्धति में बगैर जनेऊ एवम् शिखा बंधन के कोई भी धार्मिक कार्य संपन्न नहीं होती। इससे सीधे तौर पर यह प्रतीत होता है की शासन की योजनाओं में खाना पूर्ति करते अधिकारी नज़र आता है। 

चेक एवं सामान के नाम पर कुछ नहीं मिलने का आरोप: 

वहीं वैवाहिक कार्यक्रम में आए नव जोड़ों से शासन के योजनाओं से प्राप्त लाभ के विषय में जाने की कोशिश की गई तो सभी जोड़ों ने बताया कि 4 जोड़ों को 21000 रु का चेक एवम् एक गद्दा, वधु को श्रृंगार हेतु चांदी की जगह गिल्ट का मंगलसूत्र, बिछिया देना बताया गया वही बाकी 2 जोड़ों ने बताया की हमको भी सभी के जैसा ही श्रृंगार का सामान एवम् 31000 रु का चेक देना एवम् सामान के नाम पर अभी कुछ नहीं मिलना बताया गया। 

क्या महाराष्ट्र का लड़का ले सकता है छग के योजनाओं का लाभ ? 

आश्चर्य की बात तो यह है कि 6 जोड़ों में 1जोड़ी में लड़का महाराष्ट्र एवम् लड़की छत्तीसगढ़ निवासी बताया क्या महाराष्ट्र का लड़का छत्तीसगढ़ शासन के योजनाओं का लाभ ले सकता है ? ये सवाल अपने आप में संदेहात्मक लगता हैं। पूरे मामले को लेकर जब जवाबदार अधिकारी से बात करना चाहा तो कैमरे से बचते नज़र आए और मीडिया के सामने बोलने के लिए अपने आप को अधिकृत ना होना बताया जबकि वित्तीय मामले में इनको लाखों का चेक काटने का अधिकार हैं। मीडिया को जानकारी प्रदान करने का अधिकार नहीं है। इससे यह प्रतीत होता है की धरातल पर शासन की योजनाओं को मट्टी पलीत कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना इनकी मंशा है। 
 


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