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Pithampur Union Carbide : हाईकोर्ट ने दिया छह सप्ताह का समय, रामकी में खाली किए जा सकेंगे कंटेनर

Pithampur Union Carbide : हाईकोर्ट ने दिया छह सप्ताह का समय, रामकी में खाली किए जा सकेंगे कंटेनर

भोपाल। पीथमपुर ले जाए गए यूका के कचरे को जलाने की चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को हाईकोर्ट जबलपुर में सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि 3 दिसंबर को हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से कचरे को हटाने के लिए चार हफ्ते की समय-सीमा तय की थी। चेतावनी भी दी थी कि अगर निर्देश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।


 इसी आदेश के पालन में सरकार ने कचरे को भोपाल से पीथमपुर पहुंचाया, लेकिन भ्रामक खबरों की वजह से हालात खराब हुए। इसलिए, सभी पक्षाें से बातचीत कर समाधान निकालने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया जाए। हाईकोर्ट ने यह आग्रह स्वीकार कर अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित कर दी। कोर्ट ने इस संबंध में फेक न्यूज प्रकाशित, प्रसारित करने पर भी रोक लगा दी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने फैसले के लिए हाई कोर्ट को धन्यवाद दिया है।

महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि यूनियन कार्बाइड का रासायनिक कचरा वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाए। इसके पालन में राज्य सरकार ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पुलिस, डॉक्टर और प्रशिक्षित लोगों की टीम के जरिए इसे कंटेनरों में पैक किया और पीथमपुर ले गए। रासायनिक कचरे को नष्ट करना प्रारंभ भी नहीं किया गया और पीथमपुर के आसपास जनता ने कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की। इसकी वजह कुछ अफवाहें और फर्जी खबरें रहीं। 

उन्होंने कहा कि अभी यह रासायनिक कचरा 12 कंटेनरों में भरकर रखा हुआ है। इसे बहुत दिन तक कंटेनर में नहीं रखा जा सकता। हम कोर्ट से अनुमति चाहते हैं कि जिस फैक्ट्री में इस कचरे को नष्ट किया जाना है, वहां कंटेनर खाली करने की अनुमति दें। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि कचरा खाली करने पर कोई रोक नहीं है। सरकार कंटेनर खाली कर सकती है।

सुझावों पर भी विचार करे सरकार

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आदेशित किया है कि जनता में जो असंतोष है, सरकार उसे अपने स्तर पर दूर करे। राज्य सरकार मामले में आ रहे रि-पिटिशन और आवेदनों में दिए जा रहे सुझावों पर भी विचार करे। साथ ही मीडिया पर रोक लगाई है कि वह जहरीले कचरे के संबंध में फेक न्यूज पब्लिश न करें। सिर्फ वही जानकारी दे, जो तथ्यात्मक रूप से सही हो ताकि लोग भ्रमित न हों। याचिका इंदौर की एमजीएम एलुमिनाई एसोसिएशन ने इंदौर खंडपीठ में 28 दिसंबर को दायर की थी। जहां से इसे जबलपुर खंडपीठ में ट्रांसफर किया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव धनोदकर का कहना है कि सरकार ने इंदौर और पीथमपुर की जनता को भरोसे में लिए बिना यह एकतरफा कदम उठाया है। इंदौर से पीथमपुर की दूरी सिर्फ 30 किलोमीटर है। ऐसे में अगर 358 मीट्रिक टन जहरीला कचरा यहां रखा जाता है तो यह दोनों शहरों की जनता के लिए हानिकारक साबित होगा। इसे वापस भोपाल ले जाना चाहिए।
 


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