भोपाल : मध्यप्रदेश को दो नए टाइगर रिजर्व की सौगात मिलने के बाद अब प्रदेश में नेशनल पार्क की संख्या 7 से बढ़कर 9 हो गई है। जिसके चलते 4 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस पर दो नर चीता अग्नि और वायु को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। यदि सब ठीक रहा तो बाकी चीतों को भी चरणबद्ध तरीके से उनके बाड़ों से आजाद किया जाएगा। जिसकी निगरानी के लिए एक टीम भी गठित की गई है। यह चीता पुनर्स्थापना परियोजना का एक महत्वपूर्ण कदम है।
2024 के अंत से पहले मिली टाइगर रिजर्व की सौगात
बता दें कि 2024 के अंत होने से पहले मध्य प्रदेश को दो नए टाइगर रिजर्व की सौगात मिली है। जिसमे पहला नाम माधव नेशनल पार्क है। जिसे 1 दिसंबर को 8वां टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया। तो वही दूसरा रातापानी अभ्यारण्य है, जिसे 2 दिसंबर को राज्य सरकार ने 9वां टाइगर रिजर्व घोषित किया है।
मध्य प्रदेश बाघों की अच्छी संख्या के लिए प्रसिद्ध
रातापानी और माधव नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व बनने से पहले, मध्य प्रदेश में कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, सतपुड़ा, संजय दुबरी और नौरादेही टाइगर रिजर्व थे। कान्हा टाइगर रिजर्व, जिसे 1955 में राष्ट्रीय उद्यान और 1973 में टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला, मध्य प्रदेश के सबसे पुराने टाइगर रिजर्व में से एक है। बांधवगढ़ और पेंच टाइगर रिजर्व अपनी बाघों की अच्छी संख्या के लिए प्रसिद्ध हैं।
रातापानी में 3 हजार से ज्यादा जानवर
रातापानी टाइगर रिजर्व का फोरेस्ट एरिया 1271.465 स्क्वेयर किमी है. इसमें से 763.812 स्क्वेयर किमी कोर और 507.653 स्क्वेयर किमी बफर एरिया होगा. इस टाइगर रिजर्व में 3 हजार से ज्यादा जानवर हैं. इसमें 90 बाघ, 70 तेंदुए, 500 से ज्यादा सांभर, 600 से ज्यादा चीतल, 8 भेड़िये हैं. इसका कोर एरिया भोपाल, रायसेन और सीहोर में होगा।
माधव राष्ट्रीय उद्यान में भेड़िया, सियार, लोमड़ी सहित है कई जानवर
माधव राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर जिले में स्थित है। जहां बाघ अभ्यारण का कोर एरिया 375 वर्ग किलोमीटर, बफर क्षेत्र 1276 वर्ग किलोमीटर, कुल क्षेत्रफल 1751 वर्ग किलोमीटर है। यहां के जंगल में नीलगाय, चिंकारा और चौसिंगा और हिरण रहते हैं। वहीं भेड़िया, सियार, लोमड़ी, जंगली कुत्ता, जंगली सुअर, तेंदुए जैसे जानवर भी यहां देखने को मिलते है।