होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
अध्यात्म
मनोरंजन
सेहत
जॉब अलर्ट
जरा हटके
फैशन/लाइफ स्टाइल

 

Rewa Baghel Royal Family Holi : रीवा राजघराने की मृदंग होली, आज भी राजसी अंदाज में मनती है होली

Rewa Baghel Royal Family Holi : रीवा राजघराने की मृदंग होली, आज भी राजसी अंदाज में मनती है होली

Rewa Baghel Royal Family Holi : देश में प्राचीन काल से होली का त्यौहार बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जाता रहा है और यह परंपरा आज भी कायम है। विभिन्न क्षेत्रों में होली मनाने के तौर तरीके अलग-अलग रहे हैं, जिनमें आज भी परंपराओं और संस्कृति की झलक देखने मिलती है। ऐसी ही एक होली है रीवा राजघराने की। होली के मौके पर हम आपको बता रहे है रीवा राजघराने में मनाई जाने वाली बघेल राजवंश की ऐतिहासिक होली के बारे में, जिसकी अपनी एक अलग पहचान है।

7 दिनों तक चलती थी राजघराने की होली 

रीवा बघेल राजघराने की बात करें तो यहां पर मनाई जाने वाला होली महोत्सव ब्रज के फाग महोत्सव की तरह 5 से 7 दिनों तक चलता था। जानकारों के मुताबिक रियासत के महाराजा और महारानियों का भगवान कृष्ण से बेहद लगाव था। लगभग 300 वर्ष पूर्व महाराजा भाव सिंह जू देव रीवा के महाराजा हुआ करते थे। तब इन्होंने जगनाथ पुरी में दर्शन करने के बाद रीवा के तीन अलग क्षेत्रों में भगवान जगनाथ स्वामी के भव्य मंदिरों की स्थापना करवाई थी। पहला मंदिर किला प्रांगण, दूसरा मंदिर शहर के बिछिया में तो तीसरा मंदिर मुकंदपुर में बनवाया।   

ब्रज की तरह विख्यात थी राजघराने की होली 

इतिहासकार अलका तिवारी के मुताबिक, बज में मनाई जाने वाली होली की तर्ज पर रीवा राजघराने में होली का त्यौहार बड़े ही हर्ष के साथ मनाया जाता था। कई दिनों पहले से रीवा होली के रंगों में रमा हुआ दिखाई देता था। फाग महोत्सव के दिन रीवा राजघराने में विशेष आयोजन होता था। पुरानी परंपरा के तहत किला परिसर में भगवान जगन्नाथ स्वामी की पूजा अर्चना के बाद बंदूकों से फायरिंग करके सलामी दी जाने लगी। अटिका यानी कढ़ी चावल के प्रसाद का भोग लगाया जाता और वही प्रसाद बांटा जाता था। 

बनते हैं खास पकवान 

किला परिसर में ही होली महोत्सव की भव्य तैयारी की जाती थी और खास पकवान भी बनाए जाते थे, पलाश के फूल से बने रंग और गुलाल से होली का पर्व मनाया जाता था। कई गांवों से फाग मंडली भी रीवा दरबार आया करती थीं। बताया जाता है कि बघेली अंदाज में मंडलीयां राजा के साथ राग से राग मिलाते थे। 

पोते विश्वनाथ सिंह जू देव करते थे मृदंग वादन 

कई वर्ष बीतते गए और रीवा राजघराने में होली के पर्व का महत्व और बढ़ता गया। रीवा राजघराने का इतिहास काफी पुराना है, यहां बघेल राजघराने के कई राजाओं ने लंबे समय तक शासन किया। आगे महाराजा भाव सिंह जू देव के पुत्र अनुरुद्ध हुए और उनके पुत्र महाराजा जय सिंह जू देव हुए। आगे महाराज जय सिंह के पुत्र विश्वनाथ सिंह जू देव हुए। महाराजा विश्वनाथ सिंह जू देव ने खुद से ही एक मृदंग की रचना की जिसके वादन में उन्हें महारथ हासिल थी। बताया जाता है कि महाराज विश्वनाथ सिंह जू देव के कार्यकाल में होली के पर्व को और भी धूम धाम से मनाया जाने लगा। उस दौर में किला परिसर में प्रजा के साथ ही दूर दराज से आने वालें लोगों के साथ मिलकर होली और फगुआ मनाया जाता था। आज भी यह परंपरा रीवा रियासत के महाराजा पुष्पराज सिंह जू देव के नेतृत्व में निभाई जाती है। 


संबंधित समाचार