'सत्ता में होने का अर्थ केवल शासन करना नहीं...', बर्खास्त शिक्षकों के समर्थन में उतरे सांसद बृजमोहन अग्रवाल, सीएम को लिखा पत्र

'सत्ता में होने का अर्थ केवल शासन करना नहीं...', बर्खास्त शिक्षकों के समर्थन में उतरे सांसद बृजमोहन अग्रवाल, सीएम को लिखा पत्र

रायपुर: छत्तीसगढ़ के बर्खास्त 2621 बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के समर्थन में बीजेपी सांसद बृजमोहन अग्रवाल सामने आए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर इन शिक्षकों को प्रयोगशाला सहायक और व्यायाम शिक्षक जैसे समकक्ष पदों पर नियुक्त करने की सिफारिश की है।

आर्थिक और मानसिक संकट का कर रहे सामना : 

सांसद अग्रवाल ने अपने पत्र में बताया कि 2023 में राज्य सरकार द्वारा की गई शिक्षक भर्ती में तकनीकी कारणों से इन शिक्षकों को 16 महीने बाद बर्खास्त कर दिया गया। इस कारण उन्हें गंभीर आर्थिक और मानसिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से कई शिक्षक मध्यमवर्गीय और बीपीएल परिवारों से हैं, जो अब बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि राज्य सरकार संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए इन शिक्षकों को समकक्ष पदों पर एक बार की विशेष छूट दी जाए।

'पीड़ितों के आँसू पोंछना भी सरकार का काम' : 

सांसद ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के मिडिल और हाई स्कूलों में प्रयोगशाला सहायक जैसे पद खाली हैं, और इन शिक्षकों को इन पदों पर समायोजित किया जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि इन शिक्षकों की मदद की जाए, ताकि उनका भविष्य अंधकारमय न हो।

उन्होंने कहा, सत्ता में होने का अर्थ केवल शासन करना नहीं, पीड़ितों के आँसू पोंछना भी है। ये शिक्षक सिर्फ रोजगार नहीं, प्रदेश की भविष्य की नींव को संवारने वाले थे। मैं माननीय मुख्यमंत्री से निवेदन करता हूं कि इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर जल्द निर्णय लें।

लंबे समय से कर रहे हैं प्रदर्शन :

छत्तीसगढ़ में बर्खास्त बीएड सहायक शिक्षक अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे सरकार से अपनी नौकरी में समायोजन की मांग कर रहे हैं। इन शिक्षकों ने अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग तरीके से विरोध करना शुरू किया है।

क्यों गई नौकरी:

दरअसल में, सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद छत्तीसगढ़ के 2897 सहायक शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया। इन शिक्षकों की मांग है कि उन्हें फिर से नौकरी दी जाए और समायोजित किया जाए। कोर्ट ने 10 दिसंबर 2024 को अपना फैसला सुनाया था।


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