MP BJP New President : भाजपा में जिलाध्यक्षों के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पहले ही निवार्चन अधिकारी घोषित किया जा चुका है। माैजूदा अध्यक्ष वीडी शर्मा खुद पद पर बने रहना चाहते हैं। इसके लिए वे प्रयास भी कर रहे हैं, लेकिन चूंकि उन्हें एक एक्सटेंशन मिल चुका है, इसलिए उनकी संभावना कम है।
वीडी के अलावा आधा दर्जन से ज्यादा नेता प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं। इनमें हेमंत खंडेलवाल और नरोत्तम मिश्रा का नाम सबसे आगे चल रहा है। अन्य दावेदारों में अरविंद भदौरिया, गोपाल भार्गव, फग्गन सिंह कुलस्ते, लता वानखेड़े और नीता पटैरिया आदि का नाम शामिल है।
ब्राह्मण नेताओं में नरोत्तम-गोपाल
वीडी शर्मा के स्थान पर यदि किसी ब्राह्मण नेता के नाम पर विचार हुआ तो सबसे वरिष्ठ गोपाल भार्गव और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा में से किसी को मौका मिला सकता है। भार्गव कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। लगातार 9 वीं बार जीत के बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जा सका।
गोपाल को मौका मिलने पर सागर में मंत्री गोविंद सिंंह राजपूत और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के बीच छिड़ी जंग शांत हाे सकती है। वहीं नरोत्तम केंद्रीय मंत्री अमित शाह की पसंद हैं। इस समय वे किसी पद पर नहीं हैं, लेकिन देश में कहीं भी चुनाव हो, जवाबदारी देकर उन्हें महत्व दिया जाता है। इस समय वे दिल्ली में चुनाव प्रचार पर हैं।
क्या मोहन की पसंद को मिलेगी तवज्जो?
प्रदेश भाजपा में करीब 18 साल बाद सत्ता का चेहरा बदला है। शिवराज सिंह चौहान की जगह डॉ. मोहन यादव को कमान सौंपी गई है। माना जा रहा है कि अब संगठन में होने जा रहे बदलाव में भी डॉ. यादव की मर्जी को प्रमुखता दी जाएगी। भाजपा के हर दौर में संगठन और सरकार का समन्वय सबसे बड़ी चुनौती रहा है। लिहाजा पार्टी चाहती है कि दो साल बाद होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव और करीब 4 साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव तक पार्टी संगठन और सरकार में समन्वय के साथ मजबूत बनी रहे। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने चूंकि डॉ. यादव का मुख्यमंत्री के तौर पर चुनाव किया है, इसलिए वह चाहेगा कि वे सफल हों। इसके लिए पहली जरूरत है सरकार और संगठन के बीच तालमेल। इसलिए डॉ यादव की पसंद का ख्याल रख कर प्रदेश अध्यक्ष का फैसला हो सकता है।
भाजपा में बढ़ रहे दावेदार
पूर्व में घोषित कार्यक्रम के अनुसार 5 जनवरी के बाद प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनाव की प्रक्रिया पारंभ होना थी, क्योंकि इससे पहले जिलाध्यक्षों का निर्वाचन पूरा हो जाना था। जिलाध्यक्ष समय पर नहीं चुने जा सके, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष चुनाव का समय बढ़ता गया। इसकी वजह से पद के दावेदारों की तादाद भी बढ़ती गई। अब प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कभी भी हो सकता है। अभी तक सबसे मबजूत नाम इस दौड़ में हेमंत खंडेलवाल और नरोत्तम मिश्रा का माना जा रहा है। हेमंत खंडेलवाल बैतूल से विधाकय है।
वही नरोत्तम मिश्रा पूर्व गृहमंत्री और प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता है। खंडेलवाल की लो प्रोफाइल नेताओं में उनकी गिनती होती है। वे संघ की भी पसंद बताए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव को भी उनके नाम पर एतराज नहीं है। वही नरोत्तम मिश्रा का प्रदेश संगठन में तालमेल बेहतर है। इसके अलाव वे पीएम मोदी और शाह के करीबी माने जाते है।
महिलाओं में लता और नीता
भाजपा पिछले कुछ समय से महिला मतदाताओं पर ज्यादा फोकस कर रही है। लाड़ली बहना योजना पार्टी की जीत में प्रमुख भूमिका निभाती दिख रही है। ऐसे में भाजपा नेतृत्व किसी महिला नेत्री को प्रदेश में पार्टी की कमान सौंप सकती है। यदि ऐसा हुआ तो सागर से सांसद लता वानखेड़े और सिवनी की पूर्व सांसद नीता पटैरिया प्रमुख दावेदार के तौर पर उभरी हैं। लता वानखेड़े के पास लगातार जवाबदारी रही है। वे महिला आयोग अध्यक्ष के साथ महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी रही हैं। दूसरी तरफ नीता पटैरिया सांसद और विधायक रही हैं। भाजपा में एक लॉबी उनका नाम आगे बढ़ा रही है।
आदिवासी से फग्गन सहित तीन नेता
प्रदेश भाजपा के आदिवासी नेता भी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर लंबे समय से उम्मीद लिए बैठे हैं। भाजपा की नजर इस वर्ग पर भी है क्योंकि इसका कांग्रेस मोह कभी भी जाग सकता है। इसे रोकने के लिए भाजपा पार्टी के किसी आदिवासी चेहरे को प्रदेश की कमान सौंप सकती है। आदिवासी दावेदारों में सबसे पहला नाम सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते का है। वे कई बार से प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल रहे हैं। इनके अलावा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी और केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके का नाम भी चर्चा में शामिल है।