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बस्तर दशहरा मनाने के लिए माता काछनदेवी ने दी अनुमति, लाव लश्कर के साथ राजा कमलचंद्र भंजदेव काछनगुड़ी पहुंचे, दशहरे का हुआ आगाज

बस्तर दशहरा मनाने के लिए माता काछनदेवी ने दी अनुमति, लाव लश्कर के साथ राजा कमलचंद्र भंजदेव काछनगुड़ी पहुंचे, दशहरे का हुआ आगाज

रिपोर्टर - जीवानंद हलधर, जगदलपुर। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दहशरे की हर रस्म अपने आप मे खास होती है। 75 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत पाट जात्रा से की जाती है और बस्तर दशहरे की हर रस्म पूरे विधि विधान से निर्विघ्न समपन्न हो। इसके लिए काछनदेवी से अनुमति ली जाती है। लगभग 600 सालो से भी अधिक समय से चली आ रही परंपरा को पूरा करने आज भी पूरे लाव लश्कर के साथ बस्तर राजा मां काछन देवी से अनुमती लेने काछन गुड़ी पहुंचते है और माता से आशीर्वाद मांगते है कि बस्तर सहित प्रदेश में खुशहाली बना रहे और दशहरा बिना विघ्नन के पूरा हो सके।

 माता ने दी अनुमति 
आज देर शाम बस्तर राजा व बस्तर दशहरा कमेटी के पदाधिकारी काछनगुड़ी पहुंचकर माता से दशहरा पर्व की मनाने की अनुमति मांगी। 8 साल की बालिका पीहू दास पर माता सवार होकर और कांटो के झूले में झूलते हुए बस्तर राजा कमलचंद्र भंजदेव को पर्व मनाने की अनुमति दे दी है और अब आगे होने वाले सभी रस्मो को विधि विधान के साथ पूरा भी किया जाएगा। 

सदियों से चली आ रही परम्परा

बता दे कि काछनदेवी 8 साल की कन्या पर सवार होती है और वह पनका जाति की होती है औऱ यह परम्परा सदियों से चली आ रही है और इसे आज भी पूरे विधि विधान के साथ पूरा किया जाता है। इसके बाद कल से नवरात्र की शुरुआत भी हो जाएगी और  बस्तर दशहरे का अलग अलग रस्म भी देखने को मिलेगा।


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