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नगरपालिका मुंगेली में उपाध्यक्ष चुनाव पद पर मैराथन मंथन,दल-बदल की होगी राजनीति...बहुमत के बावजूद मुश्किल में कांग्रेस...

नगरपालिका मुंगेली में उपाध्यक्ष चुनाव पद पर मैराथन मंथन,दल-बदल की होगी राजनीति...बहुमत के बावजूद मुश्किल में कांग्रेस...

सैय्यद वाजिद//मुंगेली: निकाय चुनाव में छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने ऐसा परफॉमेंस करके दिखाया कि कांग्रेस को चारों खाने चित करके जीत का परचम लहराया है लेकिन बीजेपी की गढ़ वाली मुंगेली नगरपालिका में बीजेपी के कद्दावर नेताओ के बीच भी बीजेपी अपनी साख बचा नही सकी यहा कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई यहां निकाय की जंग में कांग्रेस के रोहित शुक्ला ने बीजेपी के शैलेश पाठक को 1545 मतों से पराजित कर फतेह हासिल की है और नगरपालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुए है...नगरपालिका मुंगेली के इस चुनाव में 11 कांग्रेस, 10 बीजेपी और 1 निर्दलीय पार्षद चुनाव जीतकर आए है...!

उपाध्यक्ष के लिए कांग्रेस इनको कर सकती है अधिकृत:

निकाय चुनाव के बाद अब नगरपालिका में उपाध्यक्ष चुनाव के लिए दोनो ही पार्टी मैराथन स्तर पर मंथन कर रही है भाजपा ने इसके लिए पहले ही पर्यवेक्षक नियुक्त कर दी है जबकि कांग्रेस इस मसले पर अभी भी उलझी हुई है लेकिन जिन नामो की चर्चा है उसमें कांग्रेस की तरफ से अरविंद वैष्णव के नाम पर घोषणा की जा सकती है अगर किसी कारणवश पार्टी इन्हें अधिकृत नही करती है तो आयशा मकबूल खान के नाम पर मुहर लग सकती है...हालांकि उपाध्यक्ष पद पर विराजमान होना कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नही..!

भाजपा में 2 नाम की चर्चा लेकिन अधिकृत नाम से करेगी अचंभित

भाजपा ने उपाध्यक्ष चुनाव के लिए पर्यवेक्षक की नियुक्ति पहले ही तय कर दी है मुंगेली नगरपालिका उपाध्यक्ष चुनाव के लिए अवधेश चंदेल को इसकी जिम्मेदारी दी गई है..बीजेपी में जिन दो नामो की चर्चा है उसमें मोहन मल्लाह और जयप्रकाश मिश्रा के नाम की है पर बीजेपी अंतिम वक्त में ऐसे हथकंडे अपना सकती है जो सबको हैरान कर देगी वैसे भाजपा इस मामले में बेहद माहिर है...सूत्रों के मुताबिक चुनाव में महिला सशक्तिकरण की भी झलक देखने को मिल सकती है या पार्टी निर्दलीय को ही उपाध्यक्ष पद के लिए अधिकृत कर मैदान में उतार सकती है हालांकि ये वक्त पर छोड़ते है क्योंकि बीजेपी कब क्या दांवपेंच खेल दे कुछ कहा नही जा सकता...!

बहुमत के बावजूद मुश्किल में कांग्रेस

नगरपालिका मुंगेली के 22 वार्डो के चुनाव में 11 वार्ड में कांग्रेस,10 वार्ड में बीजेपी तो 1 वार्ड में निर्दलीय पार्षद निर्वाचित हुए है...निर्दलीय पार्षद बीजेपी से ही बगावत करके चुनाव मैदान मे जीतकर आए हूं लेकिन बीजेपी से जुड़ाव होने से वह बीजेपी में शामिल होकर उपाध्यक्ष की दावेदारी ठोक दी है..इसको अब  समझे तो 11 कांग्रेस और 11 बीजेपी पार्षद है लेकिन इस बार उपाध्यक्ष के चुनाव में नवनिर्वाचित अध्यक्ष भी अपने मत का प्रयोग करेंगे लेकिन मुंगेली नगरपालिका में कांग्रेस के रोहित शुक्ला निर्वाचित हुए इस लिहाज से 12 कांग्रेस और निर्दलीय के समर्थन पर 11 बीजेपी है..सबकुछ ऐसा ही रहा तो कांग्रेस के उपाध्यक्ष बन सकते है लेकिन हालात देखकर ऐसा आभास होता नही...क्योंकि कांग्रेस के अंदरूनी मामलों में भूचाल है..किसी का किसी पर भरोसा नही..!

क्रॉस वोटिंग एवं दल बदल की होगी राजनीति

नगरपालिका मुंगेली में नवनिर्वाचित अध्यक्ष के साथ कांग्रेस मजबूत स्थिति में खड़ी हुई है पर समीकरण कुछ अलग दिशा में जाते दिख रहा है...क्रॉस वोटिंग या चुनाव से पहले या बाद में कांग्रेस के कुछ पार्षद बीजेपी में विलय होने की पूरी संभावना से इनकार नही किया जा सकता इसलिए कयास यही लगाया जा रहा है कि बीजेपी कांग्रेस के मुह से निवाला छीनकर बाजी मार सकती है और उपाध्यक्ष पद पर अपने पार्षद को विराजमान कर सकती है...क्योंकि निकाय चुनाव में दल बदल नियम लागू नही होता इसमे कोई भी पार्षद किसी भी पार्टी का दामन थाम सकता है अब ऐसा तो नही होगा कि बीजेपी के पार्षद कांग्रेस में शामिल होकर सत्ता सरकार होकर भी अपने पैर में कुल्हाडी मारे हा लेकिन इस बात पर दो मत नही होगी कि कांग्रेस के पार्षद बीजेपी में शामिल हो सकते है और इसमे ऐसे नाम भी हो सकते है जो सबको हैरान जरूर कर देगा..!

उपाध्यक्ष पद के चुनाव के लिए प्रशासन उठाए सख्त कदम

भले ही प्रशासन द्वारा यह दावा किया जाता है कि वह निष्पक्ष चुनाव करा रही है लेकिन ऐसे चुनाव में गोपनीयता भंग करने का काम किया जाता है इसको ध्यान में रखकर प्रशासन सख्त कदम उठाए ताकि गोपनीयता बनी रहे और निष्पक्ष चुनाव हो सके...इस तरह के चुनाव में प्रायः यह देखा जाता है कि दोनो ही पार्टी अपने प्रतिनिधियों को बैलेट पेपर पर एक निश्चित स्थान पर निशान करके मत देने के दबाव बनाकर मतदान करवाया जाता है जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि किस मतदाता ने किसको वोट दिया है या क्रॉस किया है इसमे चुनाव की निष्पक्षता और गोपनीयता हमेशा भंग होती है...प्रशासन अगर इस बार A4 की साइज के बैलेट पेपर में निर्धारित साइज के स्वास्तिक का बड़ा सील लगाकर चुनाव करवा दे तो गोपनीयता और निष्पक्षता दोनो बनी रहेगी...!


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