Manipur Cm N Biren singh resign: मणिपुर में पिछले साल भर से जारी तनाव के बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अंततः सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इंफाल में राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात करके अपना त्यागपत्र उन्हें सौंप दिया। इसके साथ ही एन बीरेन सिंह ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का प्रस्ताव भी सौंपा है। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने मणिपुर में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से इस्तीफे की मांग की थी। सहयोगी दल जेडीयू विधायकों ने भी पिछले दिनों सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
विधायकों का नेतृत्व परिवर्तन की मांग
एन बीरेन सिंह ने आज (रविवार) सुबह दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, करीब 12 विधायक नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। यही नहीं विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बीच मतभेद की बात भी सामने आई। दिल्ली चुनावों में भाजपा की सफलता को देखते हुए पार्टी आलाकमान नहीं चाहता कि मणिपुर की स्थिति बढ़ती सकारात्मक राजनीतिक कहानी पर हावी हो जाए।
10 फरवरी को शुरू होना था बजट सत्र
जानकारी के मुताबिक, विधायक दल की बैठक में पार्टी हाईकमान से बात करके नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाएगा। मणिपुर में हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने जनता से माफी मांगी थी। कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री को 2 साल पहले ही बर्खास्त किया जाना चाहिए था। कल 10 फरवरी को मणिपुर विधानसभा का बजट सत्र शुरू होना था। दूसरी तरफ विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा था।
केंद्र सरकार का बहुत आभारी हूं - एन बीरेन सिंह
एन बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे में लिखा- अब तक मणिपुर के लोगों की सेवा करना सम्मान की बात रही। मैं केंद्र सरकार का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने समय पर कार्रवाई की, मदद की और विकास के काम किए। हमने मणिपुरी के हितों की रक्षा के लिए कई परियोजनाएं भी चलाईं। मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वह इसी तरह काम करती रहे।
इस्तीफे में देरी मणिपुर को हुआ नुकसान
वहीं, विपक्षी NPAF के सांसद लोरो फोज ने कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने में काफी देर कर दी। उन्हें डेढ़ साल पहले ही यह काम कर लेना चाहिए था। मणिपुर के छात्रों का जीवन बच सकता था। उनके इस्तीफे में देरी की वजह से मणिपुर को काफी नुकसान झेलना पड़ा है, जिसकी अब भरपाई नहीं हो सकती है।