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किन्नर अखाड़े से बाहर हुईं ममता कुलकर्णी, सिर न मुंडाने पर लिया एक्शन...

किन्नर अखाड़े से बाहर हुईं ममता कुलकर्णी, सिर न मुंडाने पर लिया एक्शन...

Mamta Kulkarni : ऐक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े के अंदर महामंडलेश्वर बनाया गया है। जिसके बाद से काफी विवाद बढ़ गया है। जिस पर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने शुक्रवार को उन्हें महामंडलेश्वर के पद से हटा दिया है। दरअसल इसका मुख्य कारण उनका सर नहीं मुंडवाने से है। इसके साथ ही अजय दास ने किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता को भी अखाड़े के बहार का रास्ता दिखा दिया है।  इस सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि, जल्द ही  अखाड़े का पुनर्गठन किया जाएगा, साथ ही नए आचार्य महामंडलेश्वर की भी घोषणा की जाएगी।  

महाकुंभ में की थी संन्यास की घोषणा :

जानकारी के मुताबिक प्रयागराज महाकुंभ में अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने कुछ दिनों पहले ही संन्यास की घोषणा की थी। संगम में पिंडदान कराने के बाद आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनका पट्टाभिषेक किया था, साथ ही उन्हें एक नया नाम 'श्री यमाई ममता नंद गिरि' दिया था। इस संदर्भ में लक्ष्मी नारायण ने कहा कि, पिछले डेढ़ साल से ममता उनके संपर्क में थीं। और वह संन्यासी जीवन अपनाना चाहती थीं। बताया जा रहा है कि उन्होंने इससे पहले जुना अखाड़े में रहीं थी। लेकिन यहां पर गुरु के निधन के बाद वह अपने आप को दिशाहीन महसूस करने लगी, और फिर ममता ने किन्नर अखाड़े से जुड़ने का फैसला लिया था। 

आध्यात्मिक यात्रा पर उठा सवाल :

बॉलीवुड से ममता कुलकर्णी ने अचानक से ही दूरी बना ली और सन्यास ले लिया था। उन्होंने अपने बयान में बताया कि उनकी रुचि साल 1996 में अध्यात्म की ओर बढ़ गई थी इसी उनकी मुलाकात गगन गिरी महाराज से हुई जिसके बाद वह उनके संपर्क में आने के बाद वह तपस्या में लीन हो गईं थी। ममता आगे बताया कि 2000 से 2012 तक उन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन किया और इस दौरान वे दुबई में रहीं। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड ने उन्हें पहचान दी, लेकिन अब वह संन्यासी जीवन में पूरी तरह समर्पित हैं। हालांकि, अब उनके महामंडलेश्वर पद से हटाए जाने के बाद उनकी आध्यात्मिक यात्रा पर सवाल उठने लगे हैं। 

अखाड़े से किया निष्कासित:

किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने कहा कि उन्हें बिना जानकारी दिए ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बना दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने एक देशद्रोह के आरोपी को अखाड़े में शामिल किया, जो नीतियों के खिलाफ है। इसी कारण उन्होंने लक्ष्मी नारायण को भी अखाड़े से निष्कासित कर दिया है। उनका कहना है कि 2017 में ही लक्ष्मी नारायण को अखाड़े से निकाल दिया गया था, लेकिन वे अब खुद को संस्थापक बता रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि अखाड़े का पुनर्गठन किया जाएगा और नए महामंडलेश्वर की नियुक्ति होगी। 


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