रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को सोमवार को विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने उन्हें 11 अप्रैल तक ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) की रिमांड पर भेज दिया। यह दूसरी बार है जब ईओडब्ल्यू ने कवासी लखमा को रिमांड पर लिया है। इससे पहले अदालत ने उन्हें 7 अप्रैल तक EOW के पांच दिन (7 अप्रैल तक) की रिमांड पर भेज था। उन्हें शराब घोटाले के मामले में आरोपी बनाया गया है।
शराब घोटाले मामले में ये भी हैं आरोपी:
यह शराब घोटाला 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का है, और इस मामले में छत्तीसगढ़ के कई उच्च अधिकारियों और व्यापारियों की संलिप्तता का खुलासा हुआ है। पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले से जुड़े तीन आरोपियों, एपी त्रिपाठी, अनुराग द्विवेदी, और दीपक दुआरी को जमानत दी थी। हालांकि, घोटाले में आरोपी पूर्व IAS अधिकारी अनिल टूटेजा और अनवर ढेबर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया था।
इस चर्चित शराब घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की जा रही है। जांच में पता चला कि पूर्व IAS अधिकारी अनिल टूटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन MD एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के बीच घोटाले में संलिप्तता थी। इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने FIR दर्ज कराई थी।
सात लोगों को किया गया गिरफ्तार :
इस घोटाले में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें एपी त्रिपाठी, अनिल टुटेजा, और अनवर ढेबर जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इसके अलावा, नोएडा की प्रिज्म कंपनी के कर्मचारी दिलीप पांडे, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, और दीपक दुआरी को भी गिरफ्तार किया गया था।
ED ने लखमा को बताया सिंडिकेट का अहम हिस्सा:
इससे पहले, ED ने 10 मार्च को शराब घोटाले से जुड़े 14 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उनके करीबी नेताओं और कारोबारियों के ठिकाने शामिल थे। ED का आरोप है कि लखमा इस शराब सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे, और उनके निर्देश पर ही यह सिंडिकेट काम कर रहा था।
ED ने यह भी दावा किया कि लखमा को आबकारी विभाग में हो रही अनियमितताओं की पूरी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इसको रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। ED के अनुसार, लखमा ने शराब नीति को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हो सकी।