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MP NEWS: कर्ज को लेकर कमलनाथ ने CM मोहन पर साधा निशना, कहा - प्रदेश को कर्ज़ के दलदल में डुबा दिया, हर नागरिक पर 45 हज़ार का ऋण

MP NEWS: कर्ज को लेकर कमलनाथ ने CM मोहन पर साधा निशना, कहा - प्रदेश को कर्ज़ के दलदल में डुबा दिया, हर नागरिक पर 45 हज़ार का ऋण

भोपाल : मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार पहले से ही बड़े कर्ज में डूबी है लेकिन फिर भी सरकार एक बार फिर कर्ज लेने जा रही है। जो की करीबन 88450 करोड़ रूपए का होगा। जब की पहले से प्रदेश में पौने 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ है। जिसके चलते प्रदेश कर्ज़ के दलदल में डूबता जा रहा है। प्रदेश में बढ़ते ऋण को लेकर कांग्रेस के नेता कमलनाथ ने बीजेपी और मोहन सरकार पर जमकर निशना साधते हुए कहा कि जनता जो टैक्स जमा करती है, उसका इस्तेमाल सरकार कर्ज़ का ब्याज चुकाने में कर रही है। 

प्रदेश के हर व्यक्ति पर 39 हज़ार रुपया का कर्ज़

कमलनाथ ने प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को लेकर सरकार पर तंज कस्ते हुए कहा कि सोशल मीडिया में ट्वीट करते हुए लिखा कि मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने प्रदेश को कर्ज़ के दलदल में डुबा दिया है। राज्य सरकार पर इस समय क़रीब पौने 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ है। इस हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश के हर व्यक्ति पर 39 हज़ार रुपया का कर्ज़ था। जो अब बढ़कर 45 हज़ार रुपया हो जाएगा। तो वही मार्च 2025 तक 55 हज़ार रुपया प्रति व्यक्ति पर कर्ज़ हो जाएगा।

कर्ज़ का उपयोग ठेका और कमीशनराज में हो रहा 

इसके आगे कमलनाथ ने  लिखा कि राज्य सरकार की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा कर्ज़ का ब्याज चुकाने में ख़र्च होता है।प्रदेश सरकार कि इसी कर्ज़ नीति का परिणाम है कि मध्य प्रदेश की जनता  पेट्रोल,डीज़ल,रसोई गैस सिलेंडर और बिजली सबसे ज़्यादा महँगी क़ीमत पर ख़रीदती है।जनता जो टैक्स जमा करती है, उसका इस्तेमाल सरकार कर्ज़ का ब्याज चुकाने में कर रही है। इस भारी भरकम कर्ज़ का उपयोग जनता के कल्याण के बजाए ठेका और कमीशनराज में हो रहा है। 

साल 2039 तक चुकाना होगा कर्ज 

मोहन सरकार एक बार फिर आर्थिक गतिविधियों और विकास कार्यों का हवाला देकर 88 हजार करोड़ रुपये का नया कर्ज लेने जा रही है। प्रदेश पर पहले से 3.50 लाख करोड़ से अधिक का क़र्ज़ है। अगर प्रदेश की मोहन सरकार एक बार फिर कर्ज लेती है तो मध्यप्रदेश पर लगभग 4.38 लाख करोड़ का क़र्ज़ हो जायेगा। जिसे सरकार को साल 2039 तक चुकाना होगा। मोहन सरकार राज्य सरकार से 73 हजार 540 करोड़ रुपये और बाजार से और 15 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार से लेगी। पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले यह कर्ज 38 फीसदी ज्यादा है।
 


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