भोपाल : मध्यप्रदेश में टमाटर के गिरते भाव ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। लागत नहीं निकलने के चलते किसान काफी निराशा है। आलम यह है कि किसान कम दाम में भी टमाटरों को बेचने के लिए मजबूर है। तो वही कई जगहे पर किसान लाभ नहीं मिलने के चलते टमाटरों को रास्ते में फेक रहे है। इधर, किसानों हो रहे नुकसान को लेकर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने चिंता जताई है। इसके साथ ही सीएम से किसानों को लाभ की बिक्री सुनिश्चित करने की भी बात कही।
किसान फिर घाटे में - जीतू पटवारी
टमाटर की गिरते दाम पर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने ट्वीट कर कहा कि मप्र में 2 साल में टमाटर का उत्पादन करीब 5 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ गया है!
साल 2022 में उत्पादन 32.73 मीट्रिक टन हुआ था! उस समय रकबा एक लाख 14 हजार 501 हेक्टेयर था! जो बढ़कर, साल 2024 में एक लाख 27 हजार 740 हेक्टेयर हो गया है! रकबा बढ़ने से अब टमाटर का उत्पादन भी 36 लाख 94 हजार 702 मीट्रिक टन हो गया है! किंतु, किसान फिर घाटे में हैं!
किसानों को टमाटर में भी करोड़ों का घटा
पटवारी ने आगे कहा कि गेहूं, धान, सोयाबीन की फसलों में नुकसान उठा रहे मप्र के किसान अब टमाटर में भी करोड़ों के घाटे में आ गए हैं! सीएम को अब मप्र के गुणवत्तापूर्ण टमाटरों की मार्केटिंग कर, किसानों की लाभ की बिक्री सुनिश्चित करनी चाहिए!
मार्च महीने में टमाटर के दामों में भारी गिरावट
बता दें कि मार्च महीने में टमाटर के दामों में भारी गिरावट आई है और भाव औंधे मुंह गिरते हुए 50 से 80 रुपए प्रति कैरेट तक आ पहुंचे हैं। एक कैरेट में लगभग 25 किलो टमाटर होता है। इस तरह प्रति किलो टमाटर का दाम केवल 3 से 5 रुपए तक रह गया है। मौजूदा समय में रोजाना 6 से 7 हजार कैरेट टमाटर मंडी में पहुंच रहे है। किसानों के पास टमाटर को खेतों में खराब होने से बचाने के लिए मंडी में बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
जानें कब बढ़ते है और घटते है टमाटर के दाम
सर्दियों में हरी सब्जियों की अधिक उपलब्धता के कारण टमाटर की मांग कम हो जाती है, जिससे इसके दाम गिर जाते हैं। गर्मियों में जब आवक घटकर 2 से 3 हजार कैरेट रह जाती है, तब टमाटर के दाम धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं। यही टमाटर बारिश और सर्दियों के मौसम में 1000 से 1200 रुपए प्रति कैरेट तक बिकता है।