होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
अध्यात्म
मनोरंजन
सेहत
जॉब अलर्ट
जरा हटके
फैशन/लाइफ स्टाइल

 

Sagar Bjp Politics : क्या डर गए भूपेंद्र सिंह? बयानों ने बढ़ा दी मुश्किले?

Sagar Bjp Politics : क्या डर गए भूपेंद्र सिंह? बयानों ने बढ़ा दी मुश्किले?

विकास जैन भोपाल/Sagar Bjp Politics : मध्यप्रदेश बीजेपी में लंबे समय से जारी जिलाध्यक्षों को लेकर फंसा पेंच लगभग खत्म हो गया, लेकिन सागर जिले की सियासत में मंचा सियासी घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सागर बीजेपी ​की सियासत पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह के इर्दगिर्द घूम रही है। बीते दिनों में सामने आए भूपेन्द्र सिंह के रवैए को लेकर कई सवाल लोगों के मन में उठने लगे है कि क्या भूपेन्द्र सिंह का रूतबा उनके क्षेत्र में घटने लगा है? क्या बीजेपी भूपेंद्र सिंह को दरकिनार कर रही है? आखिर भूपेंद्र सिंह सीएम मोहन के मंत्री और वीडी के खिलाफ क्यों बयान दे रहे है? और बयान देने के बाद पत्र के माध्यम से अपनी सफाई भी पेश कर रहे है। आखिर ऐसा क्यों?

हासिए पर क्यों भूपेंद्र सिंह?

इन सब सवालों से पहले हम प्रदेश की राजनीति के इतिहास के पन्ने पलटते है। भूपेंद्र सिंह का एक समय भौकाल रहा है। वे शिवराज सरकार में कद्दावर मंत्री रहे है। वे कैबिनेट में कई बड़े पदों पर रहे। उस दौर में भूपेंद्र सिंह को शिवराज सिंह का दायां हाथ माना जाता था, वे शिवराज सिंह के साथ कदम से कदम मिलाकर चले, लेकिन उन्होंने इस तरह की बयानबाजी नहीं की, लेकिन शिवराज के जाते जाते भूपेन्द्र सिंह अपनों की ही खिलाफत के शिकार होते चले गए। बीते विधानसभा चुनाव से पहले सागर जिले के दो विधायक, एक मंत्री और जिले के अध्यक्ष सीएम मोहन के पास भूपेंद्र सिंह की शिकायत लेकर पहुंचे थे। हालांकि बीजेपी ने मामला शांत कराकर रफादफा कर दिया था, लेकिन मोहन सरकार आने के बाद से भूपेंद्र सिंह हशिए पर है। 

भूपेंद्र की पसंद खारिज?

साल 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद मोहन सरकार में भूपेंद्र सिंह समेत सागर जिले के कद्दावर नेता गोपाल भार्गव को कैबिनेट का हिस्सा नही बनाया गया, लेकिन कांग्रेस से बीजेपी में आए गोविंद सिंह लगातार मंत्री बनते रहे। जबकि मोहन सरकार से पहले तक भूपेंद्र सिंह का दबदबा अच्छा खासा रहा। इतना ही नहीं जब जिलाध्यक्ष की बारी आई तो सागर शहर से श्याम तिवारी को जिलाध्यक्ष बनाया जो गोविंदि सिंह के खेमे से माने जाते है। वही ग्रामीण से रानी पटेल को बनाया गया, जो गोपाल भार्गव के खेमे से आती है। इससे भी साफ होता है कि बीजेपी ने भूपेंद्र सिंह की पंसद को खारिज कर दिया।  

क्या सिस्टम से खुश नहीं भूपेंद्र?

मोहन सरकार आने के बाद से भूपेंद्र सिंह अपनों से ही मुखर है। उनके बयानों से साफ झलकता है कि वे सिस्टम से खुश नहीं है। कभी वे पुलिस पर सवाल खड़े करते है तो कभी अपनी ही सरकार के मंत्री की खिलाफत करते है। भूपेंद्र की जुबान से वीडी शर्मा तक नहीं बच सके। वीडी शर्मा को लेकर दिए बयान ने प्रदेश की सियाासत को हिला के रख दिया। उनके दूसरे बयान ने सियासत में उबाल ला दिया था। भूपेंद्र सिंह ने खुलेतौर पर कहा था की वे कांग्रेस से बीजेपी में आए नेताओं को स्वीकार नहीं करेंगे। 

क्या डर गए भूपेंद्र सिंह? 

भूपेंद्र सिंह का हाल ही में एक पत्र सामने आया है। पत्र को गौर से देखा जाए तो उसमें भूपेंद्र सिंह डरे सहमे और भावुक नजर आ रहे है। वीडी शर्मा की खिलाफत के बाद वे वीडी को अपना बता रहे है। उन्होंने एक अखबार की रिपोर्ट पर अपनी सफाई पेश करते हुए कहा है कि बीजेपी के प्रति उनकी पूरी निष्ठा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि "वीडी शर्मा पार्टी बन गएः भूपेन्द्र सिंह" यह मेरे कहने का भाव यह कतई नही था और न ही मैने ऐसा अपने इंटरव्यू में कहा है, मैं पार्टी का 40 वर्षों से अनुशासित कार्यकर्ता हूं। इन 40 वर्षों में मैंने पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम किया है। मैं पार्टी अध्यक्ष की बहुत आदर करता हूं। मैं यह भी कहूंगा कि आपके नेतृत्व में पार्टी को अभूतपूर्व सफलता मिली है। मध्यप्रदेश में आपके अध्यक्ष रहते हुए किए गए संगठन के कार्यों को पूरे देश में सराहा गया है। आप परिश्रम की पराकाष्ठा हैं।

मेरी मृत्यु भाजपा के झण्डे में लिपटकर हो...

भूपेंद्र सिंह ने आगे लिखा है कि अध्यक्ष के नाते एवं व्यक्तिगत रूप से भी आप मेरे नेता हैं और मैं आपका बहुत आदर करता हूं। आपके नेतृत्व में मैं पार्टी की मजबूती के लिए हमेशा काम करूंगा। मेरा तो जन्म भाजपा में हुआ है और मृत्यु भी भाजपा के झण्डे में लिपटकर होगी। मेरा सपना है कि मेरी अंतिम यात्रा भी भाजपा के झण्डे में लिपटकर निकाली जाए। मैं अगर भाजपा का कार्यकर्ता हूं तो पार्टी के राष्ट्रवादी विचार मेरे लिए सर्वोपरि हैं और हमारा हमेशा नारा रहा है कि देश पहले है, पार्टी उसके बाद में है। विचारों पर चलने वाला कोई राजनैतिक दल अगर देश में है तो वह भाजपा है। इस देश की धर्म और संस्कृति पर चलने वाली पार्टी भाजपा ही है, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का काम करने वाली पार्टी भाजपा है और मैं इन्हीं विचारों के लिए काम करता हूं।


संबंधित समाचार