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कौमी एकता की प्रतीक नगरी की नवदुर्गा एवं विजयदशमी महोत्सव में शोभा यात्रा के साथ माता रानी की प्रतिमा हुई स्थापित 

कौमी एकता की प्रतीक नगरी की नवदुर्गा एवं विजयदशमी महोत्सव में शोभा यात्रा के साथ माता रानी की प्रतिमा हुई स्थापित 

नगरी//विनोद गुप्ता  - नव आनंद कला मंदिर नगरी के तत्वाधान में प्रति वर्ष कौमी एकता का प्रतीक नगर स्तरीय नवदुर्गा एवं विजयदशमी महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। 73 वर्षों से एक ही स्थान राजा बाड़ा गांधी चौक पर माता रानी का आकर्षक पंडाल सजाया जाता है। 

इस आयोजन के प्रति लोगों के मन में गजब का उत्साह रहता है। इसे सभी जाति और धर्म के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं इसलिए इसे नगरी की कौमी एकता और भाईचारा की मिसाल के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसका शुभारंभ माता रानी की विशाल शोभा यात्रा के साथ होता है। नवरात्रि में नगरी के गांधी चौक राजाबाड़ा पर प्रतिमा स्थापना के साथ 9 दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी होता है।

इस दिन नगर के किसी वार्ड या मोहल्ले में कोई भी सार्वजनिक या व्यक्तिगत आयोजन नहीं होता। माता रानी की प्रतिमा के समक्ष प्रतिदिन नई बस्ती माता सेवा दल नगरी और पुरानी बस्ती माता सेवा दल नगरी के द्वारा सुरताल,ढोल, मंजीरा और करतल ध्वनि के बीच जस गीत के माध्यम से माता रानी की महिमा की अद्भुत रचना की जाती है। इस अवसर पर कार्यक्रम स्थल पर स्थित ऐतिहासिक दंतेश्वरी मंदिर के ज्योति कक्ष में भक्तों की मनोकामना ज्योति प्रज्वलित किए जाते हैं। 

नगर पुरोहित द्वारा प्रतिदिन वृहद रुप से माता रानी की पूजा अर्चना की जाती है इस आयोजन में नगरी के भाईचारा का प्रतिक श्री राम नव युवक परिषद नगरी की सभी 14 रामायण मंडलियां बढ़ चढ़कर भाग लेती है।महती आयोजन में व्यवसायी वर्ग कर्मचारी वर्ग, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा पुलिस प्रशासन का महती योगदान रहता है। इस आयोजन का लोग साल भर बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं इस वर्ष नवरात्रि के अद्भुत पल को संजोकर रखने के लिए दो सेल्फी जोन स्थापित किए गए हैं। कार्यक्रम स्थल पर सीसी कैमरे लगाए गए हैं। मुख्य मार्ग में जगह जगह स्वागत द्वार बनाए गए हैं साथ ही बिजली की लड़ियों से जगमगाया गया है। समिति के पदाधिकारियों द्वारा कार्यक्रम की व्यापक तैयारियां की गई है।

 दंड कारणय क्षेत्र राम वन गमन पथ पर बसा पौराणिक पारंपरिक नगर नगरी को बस्तर महाराज प्रवीर चंद्र भंजदेव ने बसाया था। नगर में बड़ी जनसंख्या के बावजूद हिंदू मुस्लिम सिक्ख इसाई एक साथ रहकर जीवन यापन करते हैं जिसके कारण नगरी की पहचान धर्मनिरपेक्ष नगर के रूप में हुई है। जहां तन, मन, धन से सहयोग कर नगरी के गांधी चौक राजा बाड़ा परिसर में एक ही स्थान पर मूर्ति की स्थापना करके धार्मिक सहिष्णुता एवं भाईचारा के मिसाल के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। 

चकमक पत्थर से आग उत्पन्न कर ज्योति प्रज्वलित करने की परम्परा-

नगरी में नवरात्रि महोत्सव पर पत्थर से आग उत्पन्न कर मनोकामना ज्योति प्रज्वलित की जाती है। चकमक पत्थर से आग उत्पन्न करने की यह अद्भुत परंपरा वर्षो से चली आ रही है इसके लिए एक विशेष प्रकार का पत्थर जंगल से लाया जाता है इस पत्थर में आग की चिंगारी उत्पन्न होने की उत्तेजक क्षमता पाई जाती है इस पत्थर को चकमक पत्थर कहा जाता है। 

विशेष प्रकार के लोहे से पत्थर पर प्रहार करके चिंगारी निकाली जाती है इसके लिए एक बांस की छोटी सी ढोलकी में सेमर पेड़ की रुई भर कर रखी जाती है ।रुई वाली ढोलकी और पत्थर को एक साथ एक ही हाथ में पकड़ने का तारीका गजब का होता है। ऐसा पकड़ा जाता है कि दूसरे हाथ से पत्थर पर प्रहार करने से निकली चिंगारी रुई पर ही पड़ती है और उसमें आग प्रज्वलित हो जाती है इसी आग से नवरात्रि की मनोकामना ज्योति प्रज्वलित की जाती है इसी आग का उपयोग चूल्हा में भोजन बनाने के लिए उपयोग होता है ।


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