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Holi Bhai Dooj 2025 : क्यों मनाई जाती है होली भाई दूज

Holi Bhai Dooj 2025 : क्यों मनाई जाती है होली भाई दूज

Holi Bhai Dooj 2025 : होली और भाई दूज दो अलग-अलग पर्व हैं, लेकिन दोनों में भाई-बहन के रिश्ते की अहमियत है। होली हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो आमतौर पर फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इसे वसंत ऋतु का स्वागत करने और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। होली का संबंध एक पुरानी कथा से भी है, जिसमें राक्षसी होलिका की जलकर मृत्यु और प्रह्लाद की भगवान विष्णु की भक्ति से जुड़ी कहानी है। लोग होली में रंग खेलते हैं, एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और समाज में भाईचारे का संदेश देते हैं।

भाई दूज: भाई दूज, होली के ठीक एक दिन बाद मनाया जाने वाला पर्व है। इसे खासकर भारत और नेपाल में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक करके, उन्हें लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं। इस दिन को भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करने के रूप में मनाया जाता है। भाई दूज का संबंध यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की एक कथा से जुड़ा है, जिसमें यमराज अपनी बहन से मिलने उनके घर आए थे और बहन ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया और भाई की लंबी उम्र के लिए आशीर्वाद दिया।

भाई दूज का महत्व

भाई दूज का महत्व भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने से जुड़ा हुआ है। यह त्यौहार दीपावली के बाद, कार्तिक मास की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के बीच प्रेम, स्नेह और भाई की लंबी उम्र की कामना करना है। भाई दूज का महत्व विभिन्न दृष्टिकोण से देखा जा सकता है।

भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाना: भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते की अहमियत को दर्शाता है। इस दिन, बहनें अपने भाई को तिलक करके, उसे भोजन कराती हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई अपनी बहन को उपहार देकर उसका धन्यवाद करता है। यह परंपरा भाई-बहन के बीच स्नेह और प्यार को बढ़ाती है।

यमराज और यमुनाजी की कथा: भाई दूज का संबंध यमराज और यमुनाजी की एक प्रसिद्ध कथा से जुड़ा है। कहा जाता है कि यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने उनके घर आए थे। यमुनाजी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया और यमराज से अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना की। यमराज ने इस पर अपनी बहन को वचन दिया कि इस दिन हर बहन अपने भाई को तिलक करके उसकी लंबी उम्र की कामना करें और इस दिन किसी भी भाई की मृत्यु नहीं होगी।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण: भाई दूज का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। यह दिन भाई और बहन के रिश्ते को शुद्ध करता है और उन्हें अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है। भाई दूज के दिन तिलक और पूजा करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

पारिवारिक संबंधों में सामंजस्य: भाई दूज परिवार के बीच सामंजस्य और एकता बनाए रखने में भी सहायक होता है। इस दिन भाई और बहन एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं, आपसी रिश्तों को सुधारते हैं और एक-दूसरे के सुख-दुख में सहभागी बनते हैं।


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